जब आप (अजित) अलग पार्टी हैं तो शरद पवार की तस्वीर का इस्तेमाल क्यों : सुप्रीम कोर्ट

अजीत पवार और उनके चाचा शरद पवार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार के नाम और तस्वीरों के कथित इस्तेमाल पर गुरुवार को अजित पवार खेमे को फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने अजित पवार गुट को शनिवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका के जरिए एनसीपी में विभाजन के बावजूद शरद पवार की तस्वीर के लगातार इस्तेमाल के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, अब आप एक अलग राजनीतिक दल हैं। आपने उसके साथ न रहने का निर्णय लिया है। तो उसकी तस्वीर का उपयोग क्यों कर रहे हो, अब अपनी पहचान के साथ आगे जाएं। कोर्ट ने कहा, हमें स्पष्ट और बिना शर्त हलफनामा चाहिए कि शरद पवार के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को करेगा।

कोर्ट को ये बात तब कहनी पड़ी जब शरद पवार ग्रुप ने अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि अजित पवार का समूह मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शरद पवार के नाम और फोटो का दुरुपयोग कर रहा है। अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर अलग पार्टी बनाई और पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया।

केंद्रीय चुनाव आयोग ने अजित गुट को असली एनसीपी माना। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में अजीब तर्क देते हुए कहा था- अजित पवार गुट को बहुमत विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए अजित पवार को एनसीपी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ इस्तेमाल करने का अधिकार है। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को पार्टी का नाम ‘एनसीपी-शरदचंद्र पवार’ आवंटित किया।

शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के अजीब फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले समूह को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता देने के चुनाव आयोग के 6 फरवरी के आदेश के खिलाफ शरद पवार की याचिका पर अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट से जवाब मांगा था।

यह पहली बार नहीं था जब चुनाव आयोग ने इस तरह का फैसला दिया हो. इससे पहले शिवसेना के टूटने के बाद चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह दे दिया था। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। शिव सेना की स्थापना उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे ने की थी। बाद में शिंदे ने बगावत कर अलग गुट बना लिया। शिंदे ने बीजेपी से समझौता कर लिया और महाराष्ट्र में सरकार बना ली।