नई दिल्ली | देश के जाने-माने और वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली ने पीएम मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के SHO को तीन पेज की अर्जी भेजी है। कुर्बान अली मंगलवार की शाम अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए आवेदन पत्र लेकर थाने गये थे। लेकिन जब उनकी शिकायत नहीं ली तो उन्होंने अपना आवेदन थानेदार के व्हाट्सएप नंबर पर भेजा।
उन्होंने अपने आवेदन की एक प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी भेजी है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि उनकी अर्जी हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन ने स्वीकार की है या नहीं। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
मीडिया से बात करते हुए कुर्बान अली ने कहा कि अगर पुलिस उनकी शिकायत दर्ज नहीं करती है तो वह पटियाला हाउस कोर्ट जाएंगे और कोर्ट से एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग करेंगे। अगर वहां से भी हमें एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं मिला तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के SHO को लिखे अपने आवेदन पत्र में कुर्बान अली ने लिखा है कि, 21 अप्रैल, 2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में उन पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिकूल बयान देने का आरोप लगाया जाएगा। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन करने की शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं।
उन्होंने अपने आवेदन में लिखा है कि, भारत के एक चिंतित नागरिक के रूप में, मैं 21 अप्रैल को बांसवाड़ा, राजस्थान में दिए गए भाषण की सामग्री के लिए हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आपको लिखने की स्वतंत्रता लेता हूं। संबंधित राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए एक चुनाव प्रचार रैली के दौरान समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाला भाषण दिया गया है।
एक चुनाव प्रचार रैली के दौरान संबंधित राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ऐसा भाषण दिया गया है जो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देता है। उनका बयान राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक हैं। इस प्रकार, उनका भाषण भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153ए/153बी/298/504/505 के तहत अपराध के दायरे में आता है और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123(3)/123(3ए) और 125 के प्रावधानों का भी उल्लंघन है।
अपने शिकायती पत्र में कुर्बान अली ने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार करते समय प्रधानमंत्री ने जानबूझकर भाषण में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं का अपमान हुआ। उनका भाषण हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच शत्रुता को बढ़ावा देता है और इसमें ऐसे दावे शामिल हैं जो राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक हैं।