राहुल ने अमेठी पर क्यों नहीं किया सस्पेंस ख़त्म? जानिये क्या है सच्चाई

Narendra Modi was not born in OBC, he is fooling in the name of OBC: Rahul

Rahul Gandhi | राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर अभी भी स्थिति साफ नहीं है। कांग्रेस ने अभी तक इस सीट पर किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। पिछली बार वह बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे और बीजेपी अब भी इसे लेकर चुटकी ले रही है। लेकिन पिछली बार राहुल ने अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ा था और उन्होंने वहां से जीत हासिल की थी। इस बार उन्होंने वायनाड से चुनावी नामांकन दाखिल किया है, तो सवाल ये है कि क्या राहुल इस बार भी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे?

जब राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उनके सामने यही सवाल आया। जब राहुल गांधी से पूछा गया कि कांग्रेस अमेठी से किसे चुनेगी तो उन्होंने कहा, यह बीजेपी का बहुत अच्छा सवाल है। मुझे जो भी आदेश मिलेगा, मैं उसका पालन करूंगा। हमारी पार्टी में ये सभी फैसले कांग्रेस चुनाव समिति लेती है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के सिपाही हैं और कमेटी जो भी निर्णय लेगी, उसका पालन करेंगे।

इस सीट पर चर्चा तब फिर से शुरू हो गई जब प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने भी कहा है कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि वे उनका प्रतिनिधित्व करें। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने का फैसला सही समय पर लिया जायेगा। इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी, उनके पिता राजीव गांधी और बाद में उनकी मां सोनिया गांधी ने किया।

अटकलें हैं कि राहुल गांधी अमेठी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। राहुल गांधी ने 2004 से लगातार तीन बार अमेठी सीट जीती थी। कभी गांधी परिवार का गढ़ रही अमेठी सीट 2019 के चुनाव में बीजेपी ने जीती थी। स्मृति ईरानी करीब 50 हजार वोटों से जीतीं. स्मृति ईरानी को 49.71 फीसदी वोट मिले।

हालांकि 2019 में राहुल गांधी को 2014 के मुकाबले ज्यादा वोट मिले लेकिन वह हार गए। 2014 में जहां राहुल को 4 लाख 8 हजार वोट मिले थे, वहीं 2019 में उन्हें 4 लाख 13 हजार वोट मिले। 2014 के चुनाव में स्मृति ईरानी राहुल गांधी से एक लाख से ज्यादा वोटों से हार गईं थीं।

इससे पहले 2009 के चुनाव में राहुल गांधी को 4 लाख 64 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यह कुल वोटों का करीब 71.78 फीसदी था। तब राहुल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा उम्मीदवार से 3 लाख 70 हजार वोटों के अंतर से जीते थे। 2004 में राहुल गांधी को 3 लाख 90 हजार वोट मिले थे और तब वह 2 लाख 90 हजार वोटों के अंतर से जीते थे।

कहा जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में हालात बदल सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कयास लगाए गए हैं कि इस बार स्मृति ईरानी के लिए कड़ी चुनौती होगी। अगर राहुल गांधी सामने हों तो स्थिति बदल सकती है। कांग्रेस द्वारा इस सीट पर कोई उम्मीदवार घोषित नहीं करने के पीछे कोई रणनीति बताई जा रही है। तो क्या वह रणनीति राहुल गांधी को चुनाव में उतारने की है, यह सवाल अभी भी बना हुआ है।