Vat Savitri Pooja| ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 19 मई, शुक्रवार को रहेगा। इस दिन शनिदेव जन्मोत्सव और पितृ पूजन के कार्यक्रम भी होंगे। ज्योतिषाचार्य अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि अमावस्या तिथि 18 मई रात 9:43 बजे से शुरू होकर 19 मई शुक्रवार रात 9:22 बजे तक रहेगी।
इसलिए 19 मई को उदयतिथि अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। बरगद के पेड़ की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:19 बजे से 10:42 बजे तक रहेगा। वट सावित्री व्रत और शनिदेव जन्मोत्सव पर ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। इस दिन शोभन योग सुबह से शाम तक रहेगा।
पूजा- विधि
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें।
- इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
- इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
- लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
- इस दिन व्रत कथा भी सुनें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
वट सावित्रि पूजा सामग्री की लिस्ट
- सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां
- बांस का पंखा
- लाल कलावा
- धूप
- दीप
- घी
- फल
- पुष्प
- रोली
- सुहाग का सामान
- पूडियां
- बरगद का फल
- जल से भरा कलश