उदगीर जिला निर्माण के नाम पर संजय बनसोडे राजनीति न करें : शिवानंद हैबतपुरे

शिवानंद हैबतपूरे

उदगीर: उदगीर जिला निर्माण हर उदगीरकर का अंतरंग विषय और भावनाओं से जुडा हुआ मुद्दा है, यह भारतीय जनता पार्टी का भी विषय है। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के दौरान उदगीर तालुका का विभाजन कर देवनी, शिरूर अनंतपाल, जलकोट के साथ हि लातूर जिले में चाकुर और रेणापूर इन तालुकाओं का बीजेपी के कार्यकाल में ही निर्माण हुआ था।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शिवानंद हैबतपुरे ने आरोप लगाया कि, विधायक संजय बनसोडे केवल उदगीर के लोगों को गुमराह करने के लिए और अपनी राजनीती चमकाने के लिये इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, जबकि राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार उदगीर जिले के निर्माण के लिए सकारात्मक है।

अपने बयान में शिवानंद हैबतपुरे ने कहा कि, आठ साल पहले उदगीर जिला बनाने के लिए बैठक हुई थी. लेकिन उसके बाद कोई प्रयास नहीं किया गया. पिछले आठ साल में शिवशाही, भाजपा-शिवसेना और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी तीन सरकारें आईं और गईं। इस लंबे समय के दौरान, सभी दलों के नेताओं द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया था।

विधायक संजय बनसोडे के मंत्री रहते हुए भी उन्होंने उदगीर जिले के निर्माण के लिए क्या प्रयास किए? अगर वास्तव में विधायक संजय बनसोडे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को उदगीर जिले के गठन के बारे में गंभीर होते, तो वे अपने मंत्री कार्यकाल के दौरान इस मुद्देपर जरूर अपनी आवाज उठाते। लेकीन आज सत्ता गंवाने के बाद विधायक तथा माजी मंत्री संजय बनसोडे को यह उदगीर जिला निर्माण का मुद्दा याद आया।

सत्ता गंवाने के बाद आज विधायक संजय बनसोडे के इर्द-गिर्द कि भीड़ खत्म हो गई है, ऐसे में विधायक संजय बनसोडे हताशा में ही इस मुद्दे को भूनाने कि कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, कुछ सामजिक कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में एक बहुत ही वास्तविकता से प्रेरित होकर इमानदारी के साथ बैठक का आयोजन किया था।

उन सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं का स्वागत करता हुं, क्यो कि उन्होने सही सपना देखा है, उनके प्रयास से निकट भविष्य में उदगीर जिला बनाया जाना चाहिए। ये भारतीय जनता पार्टी कि ओर से मेरी भी शुभकामना है, लेकीन इसकी राजनीती हो रही है, ये भी सभी को याद दिलाने कि जरुरत है।

उस बैठक में विधायक बनसोडे की, खुद कि राजनीतिक विफलता और खुद कि बढाई से ज्यादा कुछ नही कह सके, इस विषय में विद्यमान शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ विचार विमर्श या कोई वार्ता नही, सीधे बैठक में आंदोलन का ऐलान किया गया, ये राजकीय हताश को उजागर करने के लिये काफी है।

इसी विफलता के चलते सीधे सरकार विरोधी आंदोलन की रणनीति में निजी स्वार्थ देखा जा सकता है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी उदगीर जिले के निर्माण के लिए बहुत सकारात्मक और सक्रिय है, अगर कोई इस मुद्दे पर राजनीति करके उदगीरकरों को गुमराह करता है, तो भारतीय जनता पार्टी इस नौटंकी को सफल नहीं होने देगी।

जबकि शिंदे-फडणवीस सरकार संवेदनशील और विकासशील है, एनसीपी और समान विचारधारावाले तत्वों द्वारा सरकार से संवाद किए बिना विरोध करने का प्रयोजन उनका अजेंडा दिखा रहा है, अपने राजनीतिक स्वार्थ और खोई जमीन खोजने कि नाकामयाब कोशिश और राजनीतिक नौटंकी का हिस्सा है। शिवानंद हैबतपुरे ने अपील कि है, खुद के राजनीती के लिये उदगीर के जनता को गुमराह ना करे, उदगीर कि सारी जनता ने आपकी ऐसी मीठी-मीठी और अवसरवादी राजनीति की चालों को पहचान लिया है।