Akshaya Tritiya 2023 | अक्षय तृतीया के दिन इस विशेष यंत्र की स्थापना से होगी अपार धन की प्राप्ति

Lakshmi Mahamantra worship method

Lakshmi Mahamantra Pooja Vidhi | सनातन धर्म में ‘अक्षय तृतीया’ (अक्षय तृतीया 2023) का बहुत अधिक महत्व है। इस वर्ष 22 अप्रैल, शनिवार को अक्षय तृतीया का महापर्व है। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सोना, चांदी, जौ, नारियल आदि की खरीदारी का जितना महत्व है, उतना ही महत्व श्रीयंत्र की पूजा और स्थापना का भी है। ‘श्रीयंत्र’ को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर घर में श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा करने से धन में वृद्धि होती है। किसी तरह के आर्थिक संकट का सामना करने की जरूरत नहीं है। व्यापार में प्रगति होती है। दरिद्रता दूर होती है। धन लाभ के योग बनते हैं। आइए जानते हैं इस यंत्र की स्थापना, पूजा विधि और लक्ष्मी मंत्र के बारे में-

लक्ष्मी महामंत्र पूजा विधि

श्रीयंत्र को पूजा स्थान, तिजोरी, व्यापार स्थल आदि में स्थापित किया जा सकता है। श्रीयंत्र की नियमित पूजा करनी चाहिए। अक्षय तृतीया का दिन श्रीयंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत शुभ होता है।

इस दिन किए गए शुभ कार्यों का पुण्य सदा बना रहता है। अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:49 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक है। इस दौरान पूजा स्थान पर एक छोटी चौकी पर लाल या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछा दें। उस पर श्रीयंत्र स्थापित करें। फिर माता लक्ष्मी का स्मरण करते हुए लाल पुष्प, अक्षत, कमलगट्टे, रोली, चंदन, धूप, दीप आदि से ‘श्रीयंत्र’ की पूजा करें। श्रीयंत्र के दाहिने भाग में घी का दीपक रखें। साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा करें। सफेद बर्फी, खीर और बताशे का भोग लगाएं।

लक्ष्मी महामंत्र

श्री यंत्र और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद आप माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।

महालक्ष्मी मंत्र – ॐ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नमः मंत्र

इन दोनों मंत्रों का कम से कम 108 बार कमल की माला से जाप करें। इससे आपके सुख-समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि होगी और माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी। श्रीयंत्र की पूजा करने के बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें। उस दीये को पूरे घर में ले जाओ। पूजा के बाद श्री यंत्र को तिजोरी या पूजा स्थान में रख दें और नित्य उसकी पूजा करें।