Kolkata Underwater Metro : 5 मार्च 2024 देश के सबसे पुराने मेट्रो रेल नेटवर्क के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस नेटवर्क में देश के पहले अंडरवॉटर मेट्रो सेक्शन का उद्घाटन किया है. कोलकाता मेट्रो का यह खंड हुगली नदी से 16 मीटर नीचे बनाया गया है।
कोलकाता मेट्रो का यह ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर एटीओ यानी ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम से लैस है। इस सेक्शन में बिना ड्राइवर के भी मेट्रो एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जा सकती है। आइये जानते हैं ATO सिस्टम के पीछे की तकनीक के बारे में।
एटीओ सिस्टम में चार स्वचालन ग्रेड हैं। पहले ऑटोमेशन ग्रेड को मैनुअल ग्रेड (GoA1) कहा जाता है। इसमें ड्राइवर ट्रेन चलाने के साथ-साथ आपातकालीन स्थिति में डायवर्जन और सिग्नल का पालन करता है।
GoA2 (सेमी-ऑटोमैटिक ग्रेड)
दूसरे ऑटोमेशन ग्रेड को सेमी-ऑटोमैटिक (GoA2) कहा जाता है। इसमें ट्रेन का संचालन एडवांस्ड ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के जरिए किया जाता है। इसमें ड्राइवर का काम मेट्रो के दरवाजे बंद करना और खोलना होता है। इसमें ट्रेन स्वचालित रूप से एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाती है, लेकिन ट्रेन का ड्राइवर केबिन में ही रहता है और संचालन में आने वाली बाधाओं को देखता रहता है।
Today we are going to create history again. It is a proud moment for us….#amarkolkatametro#RailInfra4WestBengal #Howrah #kolkatadiaries #kolkata #riverganga #hooghlyriver #metro #underwater#MightyRiver pic.twitter.com/w4OAwEg6gb
— Metro Railway Kolkata (@metrorailwaykol) March 6, 2024
GoA3 (ड्राइवरलेस)
इस ऑटोमेशन ग्रेड को ड्राइवरलेस यानी डीटीओ ग्रेड भी कहा जाता है। इसमें भी ड्राइवर केबिन में रहता है और उसे केवल दरवाजे बंद करने और खोलने की जरूरत होती है। हालाँकि, आपातकालीन स्थिति में ड्राइवर को ट्रेन की कमान संभालनी होगी। दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा और पिंक लाइन ट्रेनें इसी एटीओ ग्रेड पर चलती हैं।
GoA4 (अनअटेंडेड)
एटीओ के इस ग्रेड में, ट्रेन संचालन सहित किसी भी ऑपरेशन के लिए ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होती है। इस ग्रेड पर ट्रेन चलाने के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन दरवाजे लगाने की आवश्यकता होती है। कई देशों में इसी प्रणाली पर मेट्रो ट्रेनें संचालित की जाती हैं।