वरुण गांधी के अपने ही बयान उनके खिलाफ गये और कट गया टिकट; अब राजनीतिक भविष्य संकट में

वरुण गांधी

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को 111 उम्मीदवारों की अपनी नई सूची जारी की है। इस सूची में पीलीभीत से वरुण गांधी (Varun Gandhi) का टिकट काट दिया गया है और उनकी जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा गया है।

हालांकि पार्टी ने एक बार फिर सुल्तानपुर से वरुण की मां मेनका गांधी (Maneka Gandhi) पर भरोसा जताया है। वरुण गांधी पिछले कुछ समय से पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, जिसके बाद उनका टिकट कटना तय माना जा रहा था। रविवार को आई बीजेपी की लिस्ट से भी टिकट कटने की अटकलों पर मुहर लग गई।

वरुण गांधी एक समय बीजेपी के उभरते सितारे थे

ज्यादा समय नहीं हुआ जब वरुण गांधी को बीजेपी का उभरता सितारा माना जाने लगा और लोग उनमें अपने पिता संजय गांधी (Sanjay Gandhi) की छवि देखते थे। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद उनका नाम संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर भी उछाला गया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ इस मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुए।

इससे पहले 2013 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था और पश्चिम बंगाल का प्रभार भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने संगठन के काम में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। 2014 में उन्हें सुल्तानपुर से लोकसभा का टिकट मिला और जीत हासिल की, लेकिन जल्द ही उनका रुख पार्टी के विपरीत दिखने लगा।

जब वरुण पोस्टर्स और सोशल मीडिया पर छाए हुए थे

2016 में प्रयागराज में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तस्वीरों वाले वरुण गांधी के बड़े-बड़े पोस्टर शहर भर में चर्चा का विषय बन गए थे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी ऐसे कैंपेन चलाए जा रहे थे जिसमें वरुण गांधी को उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था।

बीजेपी जैसी पार्टी में जहां संगठन के फैसलों पर ज्यादा जोर दिया जाता है, वहां ऐसी बातों से हड़कंप मच गया। वरुण गांधी उस समय अपने बयानों के कारण भी चर्चा में थे और कई बार उनके बयान पार्टी के खिलाफ जाते दिखे थे।

वरुण गांधी के अपने ही बयान उनके खिलाफ गये

धीरे-धीरे एक समय ऐसा आया जब बीजेपी नेता वरुण गांधी अपने विरोधियों से भी ज्यादा तीखे हमले अपनी पार्टी पर करते दिखे। वरुण गांधी ने कोरोना वायरस महामारी के प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठाए थे। इसके बाद 2020 में केंद्र के 3 कृषि कानूनों पर भी वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ नजर आए।

बाद में सरकार ने उन कानूनों को वापस ले लिया था। इसके बाद वरुण रोजगार और स्वास्थ्य के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरते रहे। सितंबर 2023 में अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किए जाने के बाद वरुण ने इसे ‘एक नाम के खिलाफ आक्रोश’ करार दिया था।

वरुण के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें

अब वरुण गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। कभी उनके कांग्रेस तो कभी समाजवादी पार्टी में शामिल होने की चर्चा होती रही है, लेकिन अब तक ये बातें महज अटकलें ही साबित हुई हैं। तमाम राजनीतिक पंडित भी यह बताने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं कि वरुण गांधी का भविष्य का रुख क्या होगा। फिलहाल यह तय है कि वरुण गांधी इस बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।