मुंबई: केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने एक बार और सभी के लिए यह तय कर दिया है कि वास्तव में शिवसेना किसकी है। आयोग ने कहा कि शिवसेना एकनाथ शिंदे के स्वामित्व में है। तो धनुष-बाण भी शिंदे गुट के पास चला गया, शिवसेना में गुटबाजी की दीवार एक बार चुनाव आयोग ने गिरा दी है।
बेशक इस नतीजे पर दोनों तरफ से प्रतिक्रियाओं की बरसात हो रही है। उद्धव ठाकरे के गुट का आरोप है कि चुनाव आयोग का फैसला पूर्वानुमेय और पक्षपातपूर्ण है। इस फैसले का शिंदे समूह और भाजपा ने जोरदार स्वागत किया है।
कई शहरों में ढोल बजाए जा रहे हैं। पदाधिकारी, कार्यकर्ता, नेता एक दूसरे को मिठाई खिला रहे हैं। लेकिन इस पूरे तामझाम के बीच आज के नतीजों में चुनाव आयोग की एक टिप्पणी सबसे अलग है। चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी में ही हुई घटना की ओर ध्यान खींचा है।
क्या है यह सब मामला?
शिवसेना के दो गुट पिछले कुछ महीनों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के पास दलीलें खत्म हो गई हैं। भारतीय लोकतंत्र में पहली बार इस तरह की शर्मिंदगी सामने आई है। इसके तकनीकी पहलू बेहद पेचीदा हैं और जो भी फैसला होगा, उसका भारतीय लोकतंत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार को लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार अपना फैसला सुना दिया। इस रिजल्ट को लेकर प्रमुख सरकारी न्यूज एजेंसी ANI ने ट्वीट किया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने देखा है कि शिवसेना का वर्तमान संविधान लोकतंत्र विरोधी है।
भारत के चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है। इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 17, 2023
शिवसेना ने बिना चुनाव कराए अलोकतांत्रिक तरीके से लोगों के एक समूह से पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। आयोग ने बताया है कि यह पूरी तरह से विसंगति है। आयोग ने इससे आगे जाने के परिणामों के बारे में भी बताया है। आयोग ने कहा कि ऐसा पार्टी ढांचा विश्वास पैदा करने में विफल रहता है।
आज केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना के स्वामित्व का ऐलान किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को शिवसेना पार्टी का नाम और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न मिला है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना से नवाजा है। केंद्रीय चुनाव आयोग पिछले कई महीनों से इस मुद्दे पर बहस कर रहा है। आखिरकार इस मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग ने सबसे बड़ा फैसला दिया।
आठ महीने पहले राज्य की राजनीति में सबसे बड़ा भूकंप जून में आया था। एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना पार्टी में बगावत कर दी। एकनाथ शिंदे सभी बागी विधायकों को अपने साथ सूरत और फिर गुवाहाटी ले गए। इस घटना के बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ।
एकनाथ शिंदे ने बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। ठाकरे गुट ने इसके खिलाफ केंद्रीय चुनाव आयोग और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। पिछले आठ महीने से सुनवाई चल रही थी।
इस संबंध में चुनाव आयोग में बहस पूरी हो गई। इसके बाद कभी भी रिजल्ट आने की उम्मीद थी। इसी के मुताबिक चुनाव आयोग ने आज शाम नतीजों की घोषणा कर दी है। इस नतीजे से ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है।