PM ने यूं ही नहीं कही UCC की बात : धारा 370, राम मंदिर और अब समान नागरिक संहिता, समझिए बीजेपी का पूरा मेगा प्लान

पीएम मोदी

BJP’s Complete Mega Plan | लोकसभा चुनाव (2024) से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता (UCC) पर दिए गए बयान ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। राम मंदिर और अनुच्छेद 370 के साथ समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के चुनावी एजेंडे का हिस्सा रही है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिल के भी करीब है। बीजेपी ने अपने दो बड़े चुनावी वादे राम मंदिर और धारा 370 पूरे कर दिए हैं और अब पीएम के बयान से संकेत मिला है कि पार्टी समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ती दिख रही है।

विधानसभा चुनाव में UCC टेस्ट

2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीन बड़े और अहम राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से 2 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। हाल ही में बीजेपी को कर्नाटक में हार का सामना करना पड़ा. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम ने समान नागरिक संहिता की चर्चा यूं ही शुरू नहीं की है, बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव में इसे एक तरह से परखना चाहते हैं। बीजेपी नेताओं के मुताबिक, जी-20 की बैठक सितंबर तक प्रस्तावित है, इसलिए सरकार बैठक के दौरान इस मुद्दे पर कोई हंगामा नहीं चाहती। लेकिन इसके बाद पार्टी इस मुद्दे पर आक्रामक तरीके से आगे बढ़ने की तैयारी में है।

इन राज्यों में तेजी से तैयारी

गोवा, गुजरात, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसी कई भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकारें पहले ही समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी कर चुकी हैं। उत्तराखंड सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति भी गठित की है, जो हाल ही में केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंची थी।

तब तक जनता की राय भी आ जायेगी

पीएम मोदी के बयान से पहले ही विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर जनता की राय मांगी है। विधि आयोग ने 14 जून को एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, जिसमें कानून मंत्रालय के 17 जून 2016 के पत्र का हवाला देते हुए कहा गया था कि वह समान नागरिक संहिता पर सभी हितधारकों के विचार चाहता है। इच्छुक लोग 30 दिन के भीतर यानी 14 जुलाई तक आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं।

संसद में बीजेपी को रोकना मुश्किल

अगर बीजेपी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहती है तो शीतकालीन सत्र 2024 के चुनावों से ठीक पहले आखिरी मौका होगा। इसी के आसपास विधानसभा चुनाव भी होने हैं। नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (बीजेडी) पहले ही एक तरह से समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बीजेपी को सकारात्मक संदेश दे चुकी है और संसद में इस पर कार्रवाई शुरू करने की बात कह चुकी है।

ऐसे में अगर भारतीय जनता पार्टी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर संसद में बिल लाती है तो कोई बड़ी दिक्कत नहीं होगी। बीजेडी की मदद से उसे बिल पास कराने के लिए जरूरी संख्या मिल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली इस समिति का कहना है कि लैंगिक समानता, महिलाओं की शादी के लिए 21 साल की उम्र की अनिवार्यता, महिलाओं के लिए संपत्ति की स्थिति में समानता, एलजीबीटीक्यू को कानूनी अधिकार देना और जनसंख्या नियंत्रण उनकी प्राथमिकताएं हैं। हैं। सूत्रों के मुताबिक, समान नागरिक संहिता पर रंजना देसाई की कमेटी ने जो मॉडल तैयार किया है, उसे राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू किया जा सकता है।