Maharashtra Report : मराठवाड़ा में 1023 किसानों ने की आत्महत्या, 2022 के आंकड़े आए सामने

Maharashtra Report

Maharashtra Report : महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकारें इन्हें रोकने के लिए उठाए गए कदमों की गिनती करती रही हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं।

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े सामने आए हैं। अकेले महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में ही 1023 किसानों ने आत्महत्या की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, किसान आत्महत्या के ये आंकड़े 2022 तक के हैं। औरंगाबाद के मंडलायुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।

वर्ष 2001 में, इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिलों में एक किसान ने आत्महत्या कर ली।

2001 से, महाराष्ट्र के मराठवाड़ क्षेत्र के आठ जिलों में 10,431 किसानों ने आत्महत्या की है। यह कहना है मंडल आयुक्तालय का रिकॉर्ड।

2001 से 2010 तक यानी 21वीं सदी के पहले दशक में साल 2006 में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की थी। तब 379 किसानों ने आत्महत्या की थी।

21वीं सदी के दूसरे दशक में यानी 2011 से 2020 के बीच साल 2015 में सबसे ज्यादा 1133 किसानों ने आत्महत्या की।

एक अधिकारी के मुताबिक, 2001 से अब तक आत्महत्या करने वाले 10,431 किसानों में से 7,605 ऐसे थे, जिन्हें नियमानुसार सरकारी सहायता मिली थी.

अधिकारियों व कार्यकर्ताओं के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में सूखा या अतिवृष्टि हुई है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ी है.

मायक्रो लेव्हल पर काम करने की जरूरत 

उस्मानाबाद में जिला प्रशासन के सहयोग से किसानों के लिए परामर्श केंद्र चलाने वाले विनायक हेगाना ने कहा है कि आत्महत्याओं का विश्लेषण करने और इसके आधार पर सूक्ष्म स्तर पर काम करने की जरूरत है.

नीतियों को शीर्ष स्तर पर तैयार किया गया है लेकिन उन्हें पूरी तरह से धरातल पर लाने के लिए सुधार किया जा सकता है।

विनायक ने आगे कहा कि पहले जुलाई से अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याएं दर्ज की जाती थीं, लेकिन अब पैटर्न बदल गया है।

उन्होंने कहा कि अब दिसंबर से जून के बीच आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। आत्महत्या पर अंकुश लगाने की नीतियों के बारे में हेगाना ने कहा कि, कमियों को खोजने और उन्हें बेहतर बनाने की प्रक्रिया लगातार चलती रहनी चाहिए और ऐसे लोगों का समूह होना चाहिए जो इस पर काम कर सकें।

इसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि किसानों का कई बार कर्ज माफ किया गया. किसानों की आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जब हम उनका कर्ज माफ करते हैं तो हमें यह भी देखना होता है कि उन्हें उनकी उपज का अच्छा दाम मिले।

अंबादास दानवे ने घटिया किस्म के बीज, ऊंची कीमत पर खाद मिलने पर भी चिंता जताई और कहा कि यह कृषि क्षेत्र के लिए हानिकारक है।