श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization) ने पहला सूर्य मिशन लॉन्च किया है। आदित्य एल1 मिशन को सुबह 11:50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इसे भारत के सबसे विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी (Polar Satellite Launch Vehicle) द्वारा अंतरिक्ष में लॉन्च किया जा रहा है। आदित्य L1 को पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर स्थापित किया जाएगा। यहां से यह सूर्य का अध्ययन करेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदित्य एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत की अंतरिक्ष यात्रा जारी है। भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। समस्त मानवता के कल्याण और ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।
After the success of Chandrayaan-3, India continues its space journey.
Congratulations to our scientists and engineers at @isro for the successful launch of India’s first Solar Mission, Aditya -L1.
Our tireless scientific efforts will continue in order to develop better…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2023
आदित्य एल1 लॉन्च
- PSLV रॉकेट का चौथा चरण पूरा होने के बाद आदित्य एल 1 सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसने पृथ्वी के चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही लॉन्चिंग मिशन पूरा हो गया है।
- PSLV रॉकेट का तीसरा चरण पूरा हो गया है। Aditya L1 लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 की ओर बढ़ रहा है।
- PSLV रॉकेट 175 km की ऊंचाई तक पहुंच गया है।
- आदित्य एल 1 पृथ्वी के वातावरण से बाहर पहुंच गया है। उसके बाहर लगा कवर हट गया है। PSLV रॉकेट का दूसरा चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। तीसरा चरण शुरू हो गया है। इसमें ठोस इंधन का इस्तेमाल होता है।
- PSLV रॉकेट ने तेज गर्जना के साथ आदित्य एल 1 को लेकर उड़ान भरी। रॉकेट का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इसका दूसरा फेज चल रहा है। इसमें तरल फ्यूल इस्तेमाल होता है।
- भारत का पहला सूर्य मिशन लॉन्च हो गया है। आदित्य एल 1 को लेकर इसरो के PSLV रॉकेट ने उड़ान भर ली है।
- इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा कि यह इसरो और भारत के लिए एक बड़ा कदम है। नई अंतरिक्ष नीति के साथ यह अनिवार्य कर दिया गया है कि इसरो अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाएगा।
- चंद्रयान-3 की प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने कहा कि दूसरे देशों ने काफी पहले सूर्य का अध्ययन शुरू कर दिया था। भारत के पास सूर्य वेधशाला नहीं है।
- आदित्य एल1 के साथ भारत भी सूर्य का अध्ययन करेगा। इससे हम अंतरिक्ष के मौसम को समझ पाएंगे। इसके साथ ही आगामी अंतरिक्ष अभियानों में भी मदद मिलेगी।
आदित्य L1 क्या है?
आदित्य-एल1 एक वेधशाला है। इसका काम सूर्य का अध्ययन करना है। सूर्य पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है। सूर्य की सतह पर होने वाली हलचलों का प्रभाव पृथ्वी तक पहुँचता है। इसी के चलते दुनिया के कई देश सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए मिशन चला रहे हैं।
इसी क्रम में इसरो ने अपना पहला सोलर मिशन शुरू कर दिया है। आदित्य-एल1 सात अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है। इनकी मदद से सूर्य के विभिन्न पहलुओं की जांच की जाएगी। इन उपकरणों में विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टर शामिल हैं। यह सूर्य के प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत रहस्यमय कोरोना की जांच करेगा।
सूर्य का अध्ययन क्यों किया जा रहा है?
सूर्य पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है। अन्य तारों की तुलना में इसकी निकटता के कारण इसका गहराई से अध्ययन किया जा सकता है। इससे न केवल सूर्य के बारे में बल्कि आकाशगंगा और आकाशगंगाओं के भीतर के तारों के बारे में भी जानकारी मिलेगी। पृथ्वी को ऊर्जा सूर्य से ही प्राप्त होती है। इसकी सतह पर विस्फोटक घटनाएँ घटती रहती हैं।
इससे सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। ऐसे सौर विस्फोट यदि पृथ्वी की ओर होते हैं तो अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं। इन गड़बड़ियों को कम करने के लिए समय पर चेतावनी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके लिए सूर्य की गहराई से जांच की जा रही है।