CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 192 याचिकाएं, 19 मार्च को एक साथ होगी सुनवाई

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CAA | नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) के नियमों पर रोक लगाने की मांग वाली सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सभी मामलों को मंगलवार को एक साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में CAA पर चर्चा के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून लागू न होने की वजह से कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। अब जब अधिसूचना जारी हो गई है तो इसकी सुनवाई जल्द शुरू होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में किसने दायर की है याचिका?

सीएए के खिलाफ कुल 192 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया और असम संगठन एजेवाईसीपी द्वारा दायर याचिकाएं शामिल हैं। इन याचिकाओं में CAA के प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि सीएए असंवैधानिक और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है।

सीएए क्या है?

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होने से तीन पड़ोसी मुस्लिम बहुल देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन लोगों को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी, जो किसी न किसी तरह का उत्पीड़न झेलकर दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे। इसमें गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था।

यहां से ये पास तो हो गया, लेकिन राज्यसभा में अटक गया। बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर 2019 का चुनाव आ गया। दिसंबर 2019 में इसे दोबारा लोकसभा में पेश किया गया। इस बार यह बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पास हो गया। राष्ट्रपति की मंजूरी 10 जनवरी 2020 को मिल गई थी। लेकिन उस वक्त कोरोना के कारण इसमें देरी हुई।