मथुरा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गोहत्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने गायों की हालत पर दुख जताते हुए कहा कि कहा जाता है कि, सबसे ज्यादा गायें बांग्लादेश में काटी जाती हैं। उन्होंने पूछा, लेकिन उन्हें वहां भेजता कौन है? तब उन्होने खुद ही जवाब दिया कि, वे हिंदुओं के घरों से ही वहां पहुंचते हैं, उन्हें वहां ले जाने वाले कौन हैं, वे हिंदू ही हैं। भागवत ने सभी से गाय की सेवा करने का आह्वान करते हुए कहा है कि, गाय दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान है।
भागवत ने मंगलवार को परखम गांव में 70 एकड़ क्षेत्र में 200 करोड़ रुपये की लागत से दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति द्वारा शुरू किए गए दीनदयाल गाय विज्ञान, अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के पहले चरण में निर्मित प्रशासनिक भवन, कक्षा कक्ष और अन्य सुविधाओं का उद्घाटन किया। मथुरा के फरह क्षेत्र में स्थित है। बायोगैस जेनरेटर चलाने वाले बुनकर केंद्र का उद्घाटन करने आए थे।
क्या गायों को वध के लिए भेजना बेटे का कर्तव्य है?’
उन्होंने फिर सवाल उठाया, गाय को हम माता कहते हैं। क्या गायों को वध के लिए भेजना एक बेटे का कर्तव्य है? उन्होंने यह भी जवाब दिया, नहीं, हम गायों की सेवा करेंगे। हम अपनी गाय को ऐसे नहीं जाने देंगे। हम उसे हमेशा अपने साथ रखेंगे। मरने के बाद उसका सींग भी हमारे काम आता है। इसका छिलका भी उपयोगी होता है। वह मरते दम तक हमारी सेवा करती है तो हम जीते जी उसकी सेवा क्यों नहीं कर सकते।
मोहन भागवत ने और क्या कहा?
संघ प्रमुख ने कहा, हमने गाय के बारे में अपने पूर्वजों से सीखा, जिन्होंने स्वयं अनुभव करके यह ज्ञान प्राप्त किया। लेकिन अब दुनिया को बताने के लिए हमें गायों के बारे में जो ज्ञान प्राप्त हुआ है, उसे उन्हीं की भाषा में, उन्हीं के मानकों के अनुरूप साझा करना होगा। यही काम यह संस्थान करेगा।
यहां हम विभिन्न तरीकों से शोध करके गाय के बारे में प्रामाणिक जानकारी एकत्र करेंगे।उन्होंने कहा कि जिस तरह घर में कमी होने पर हम अपने माता-पिता को बाहर नहीं भेजते हैं, पहले उन्हें खाना खिलाते हैं और फिर खुद खाना खाते हैं। उसी प्रकार हम भी गाय की सेवा करते हैं। इसे वैसे ही करना होगा. अगर हम गाय को माता कहते हैं तो हमें बेटे का कर्तव्य भी निभाना होगा।