महाराष्ट्र मराठा आरक्षण | मंगलवार (फरवरी 20, 2024) को महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। इसके तहत मराठों को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया है. यह बिल महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन सरकार लेकर आई थी।
मराठों को आरक्षण देने के लिए लाए गए इस बिल को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में पेश किया। इसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। यहां सभी दलों ने इसका समर्थन किया और इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। यह मराठा आरक्षण बिल महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर लाया गया था। यह रिपोर्ट सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार को सौंपी थी। आरक्षण बिल पास होने पर सीएम शिंदे ने इसे ऐतिहासिक अवसर बताया।
इस मौके पर सीएम शिंदे ने कहा, मैं एक साधारण मराठा किसान का बेटा हूं, उनका दर्द समझता हूं। हमने इसकी कानूनी बारीकियों पर काम कर लिया है और इसका किसी अन्य कोटा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि यह कोर्ट में कानूनी तौर पर सफल होगा।
Maratha Reservation Bill for reservation in education and jobs unanimously passed by Maharashtra Legislative Council pic.twitter.com/WVIrR8btmh
— ANI (@ANI) February 20, 2024
महाराष्ट्र में ऐसा तीसरी बार हो रहा है कि मराठा आरक्षण के लिए बिल लाया गया है. इससे पहले 2014 में पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार और 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस की सरकार ने भी मराठा आरक्षण के लिए प्रयास किये थे। 2014 में कांग्रेस सरकार जो बिल लेकर आई थी वो एक अध्यादेश ही था, उस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। 2018 में इस संबंध में गंभीर प्रयास किया गया। फड़नवीस सरकार ने मराठों को 16% आरक्षण दिया था, जिसके कारण कानूनी दिक्कतें थीं।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आरक्षण को बरकरार रखा था लेकिन इसे घटाकर शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% कर दिया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां 2021 में मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके पीछे आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को कारण बताया था। शिंदे सरकार ने पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया था. हाल ही में मराठा आरक्षण को लेकर कई प्रदर्शन हुए हैं।
अब महाराष्ट्र सरकार को इस आरक्षण को कोर्ट के सामने साबित करना होगा, तभी मराठाओं को इसका फायदा मिलेगा. मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने इसका स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने कुछ और मांगें भी जोड़ दी हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
#WATCH | Mumbai: Before the Maharashtra government presents the Maratha Reservation Bill in the House today, Samajwadi Party leader Abu Azmi waved banners outside the Maharashtra Assembly demanding reservation for Muslims. pic.twitter.com/egRsdo7FG9
— ANI (@ANI) February 20, 2024
आज विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास होने पर मुस्लिम नेताओं ने भी अलग राग अलापा. यहां सपा नेता अबू आजमी और रईस शेख ने मांग की कि मुसलमानों को भी 5 फीसदी आरक्षण दिया जाए, इसके लिए उन्होंने विधानसभा के बाहर बैनर लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने मुस्लिमों को आरक्षण न देने को अन्याय बताया है. हालाँकि, शिंदे सरकार ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की या कोई प्रावधान नहीं किया।