एथिक्स समिति की रिपोर्ट : कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता रद्द

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता रद्द

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है। उन्हें ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में दोषी पाया गया है। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की सिफ़ारिश के आधार पर उन्हें संसद से निष्कासित किया गया है। एथिक्स कमेटी की यह रिपोर्ट दोपहर 12 बजे सदन में पेश की गई।

लेकिन इस पर हंगामा मच गया, इसके चलते सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 2 बजे जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सिर्फ आधे घंटे का समय दिया। आधे घंटे की चर्चा के बाद रिपोर्ट की सिफारिशों को ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया और महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द कर दी गयी।

एथिक्स कमेटी की 495 पन्नों की रिपोर्ट

एथिक्स कमेटी की यह रिपोर्ट दोपहर करीब 12 बजे सदन में पेश की गई. यह रिपोर्ट 495 पन्नों की है. लेकिन विपक्षी सांसदों ने 495 पन्नों की इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए और समय की मांग की थी. लेकिन हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। लेकिन दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने समिति की रिपोर्ट पर चर्चा का प्रस्ताव रखा।

इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया गया लेकिन विपक्ष ने और समय की मांग की. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि मैं महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आधे घंटे की चर्चा की अनुमति देता हूं। मैं साथी सदस्यों से भी अपील करता हूं कि चर्चा के दौरान सदन की मर्यादा बनाए रखें। करीब 500 पन्नों की इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने तीन से चार दिन की मांग की थी।

रिपोर्ट पर चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया गया

संसद में चर्चा के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महुआ पर जो रिपोर्ट आई है. इसमें 106 पेज हैं। इसमें अनुलग्नक सहित 495 पृष्ठ हैं। कोई इंसान इतनी बड़ी रिपोर्ट इतनी जल्दी यानी दो घंटे में कैसे पढ़ सकता है? उन्होंने कांग्रेस से मांग की कि इस पर चर्चा के लिए 3-4 दिन का समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी के खिलाफ कोई शिकायत है तो उन्हें बोलने का मौका मिलना चाहिए।

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी कहा कि संसद में 495 पेज की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सभी दलों को आधे घंटे का समय दिया गया और आख़िरकार महुआ की सदस्यता रद्द कर दी गयी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि 495 पेज की रिपोर्ट पर सांसद कैसे चर्चा करेंगे?

इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि कैसे महुआ ने अपना संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड किसी और को दे दिया. इसलिए इस प्रस्ताव पर सही समय पर चर्चा हो रही है।

महुआ को सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया

सदन में प्रह्लाद जोशी की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव पर जैसे ही वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हुई, विपक्षी सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने मांग की कि महुआ मोइत्रा को सदन में बोलने का मौका दिया जाए, जिसे स्पीकर बिरला ने खारिज कर दिया।

बिरला ने कहा कि 2005 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 10 लोकसभा सांसदों की सदस्यता रद्द करने के निर्देश दिये थे. ये सांसद भी कैश फॉर क्वेरी मामले में शामिल थे। इस दौरान जोशी ने कहा कि 2005 में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने खुद इन 10 सांसदों की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव रखा था।

ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष ने एथिक्स कमेटी की सिफारिशों पर महुआ मोइत्रा को सदन में बोलने से रोक दिया. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे मौके आते हैं जब उचित फैसले लेने पड़ते हैं। सदन उच्च मानकों के साथ संचालित होता है। यह सबसे ऊंची पीठ है। बिरला ने कहा कि ऐसे कदम उठाना सदन का सामूहिक कर्तव्य है ताकि सदन की गरिमा बनी रहे. इस तरह आधे घंटे की चर्चा के बाद रिपोर्ट की सिफारिशों को ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया और महुआ मोइत्रा की सांसद सदस्यता रद्द कर दी गयी।

महुआ मोइत्रा पर क्या थे आरोप?

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछे थे। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा था कि महुआ मोइत्रा ने अब तक संसद में 61 प्रश्न पूछे हैं, जिनमें से 50 अडानी समूह से संबंधित थे।

उन्होंने कहा कि मोइत्रा ने इस तरह के सवाल पूछकर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हितों की रक्षा के लिए आपराधिक साजिश रची है। निशिकांत दुबे ने यह दावा वकील जय अनंत देहरादाई के शोध के आधार पर किया था।

इतना ही नहीं, दुबे ने सवाल उठाया था कि इसकी भी जांच होनी चाहिए कि क्या महुआ मोइत्रा ने लोकसभा वेबसाइट के लिए अपने लॉगिन क्रेडेंशियल हीरानंदानी और हीरानंदानी ग्रुप को दिए थे? ताकि वे इसका इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए कर सकें.

इस बीच हीरानंदानी का एथिक्स कमेटी को दिया गया हलफनामा भी सामने आ गया है। इस हलफनामे में हीरानंदानी ने कबूल किया था कि महुआ ने उनके साथ अपना संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा किया था, ताकि वह (हीरानंदानी) महुआ की ओर से सवाल पूछ सकें।

महुआ ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में यह भी बताया था कि उन्होंने अपनी लॉगिन आईडी दर्शन को दी थी, ताकि वह उनकी ओर से सवाल पूछ सकें।

महुआ का जवाब

लोकसभा में रिपोर्ट पेश किये जाने के दौरान महुआ भी सदन में मौजूद थीं। संसद पहुंचकर महुआ ने मीडिया से बातचीत में कहा- ‘मां दुर्गा आ गई हैं, अब देखते हैं क्या होता है। जब विनाश मनुष्य पर छा जाता है तो सबसे पहले विवेक मर जाता है। सदस्यता गंवाने के बाद महुआ की यह पहली प्रतिक्रिया है।

उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था और आगे भी उठाती रहूंगी। किसी भी नकद उपहार का कोई सबूत नहीं है।”

महुआ मोइत्रा आगे कहती हैं, “मुझे हटाने की सिफारिश इस आधार पर की गई थी कि मैंने अपना संसद लॉगिन पोर्टल किसी के साथ साझा किया था। लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए कोई नियम नहीं हैं।” मोइत्रा ने दावा किया कि एथिक्स कमेटी के पास उन्हें निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है और यह बीजेपी के अंत की शुरुआत है।