Shankaracharya Mandir Srinagar: जम्मू-कश्मीर के शहर श्रीनगर की खूबसूरती किसी से छुपी नहीं है। यहां की मस्जिदों, झीलों और हाउसबोटों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। हालांकि, मस्जिदों के अलावा यहां कई प्राचीन मंदिर भी हैं, जिनकी अपनी अलग मान्यताएं हैं।
श्रीनगर में समुद्र तल से लगभग 1100 फीट की ऊंचाई पर शंकराचार्य मंदिर भी है, जो डल झील के पास शंकराचार्य नामक पर्वत पर बना है। यह मंदिर कश्मीर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसके स्तंभों का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। कश्मीर में कुछ लोग इस मंदिर को ज्योतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में थे। श्रीनगर पहुंचते ही उन्होंने शंकराचार्य हिल्स पर माथा टेका। साथ ही लोगों को महाशिवरात्रि की बधाई भी दी। इसके अलावा उन्होंने यहां एक रैली को भी संबोधित किया। आज हम आपको श्रीनगर स्थित इस शंकराचार्य मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किया था।
शंकराचार्य मंदिर में क्या है खास?
आपको बता दें कि शंकराचार्य मंदिर का निर्माण 371 ईस्वी में राजा गोपादत्य ने करवाया था। यह मंदिर काफी ऊंचाई पर होने के कारण महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण करवाया था।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में लगभग 274 सीढ़ियाँ हैं। मंदिर के मुख्य द्वार से बगीचे तक पहुंचने के लिए कम से कम 244 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जबकि बगीचे से मंदिर के गर्भगृह तक एक अलग रास्ता बनाया गया है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए 30 सीढ़ियां और चढ़नी पड़ती हैं।
शंकराचार्य मंदिर का गर्भगृह भी लोगों को आकर्षित करता है, क्योंकि इसके गर्भगृह में प्राचीन स्थापत्य कला की छाप है। मंदिर का गर्भगृह साधारण नहीं बल्कि गोलाकार है, जो बहुत सुंदर दिखता है। गर्भगृह में भगवान शिव का एक विशाल लिंग भी मौजूद है।
मंदिर कितना पुराना है?
मान्यता के अनुसार यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है। इसलिए इसमें पुराने आर्किटेक्चर का इस्तेमाल किया गया है, जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। इस मंदिर से पूरा शहर साफ दिखाई देता है, क्योंकि यह काफी ऊंचाई पर है। इसके अलावा यहां से डल झील का नजारा भी देखा जा सकता है।
Upon reaching Srinagar a short while ago, had the opportunity to see the majestic Shankaracharya Hill from a distance. pic.twitter.com/9kEdq5OgjX
— Narendra Modi (@narendramodi) March 7, 2024
कश्मीरी पंडितों के अनुसार 8वीं शताब्दी के आसपास आदि शंकराचार्य यहां आए थे, जिनके नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह के पास एक कमरा भी है, जो छोटे-छोटे पत्थरों से बना है। ऐसा कहा जाता है कि शंकराचार्य इसी कमरे में रहते थे। वे यहीं बैठकर तपस्या करते थे।