FIDE World Cup Chess Tournament: भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद ने FIDE विश्व कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल मैच में जोरदार प्रदर्शन किया, लेकिन वह खिताब जीतने से चूक गए। उन्हें दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। फ़ाइनल के तहत दो दिनों में दो गेम खेले गए और दोनों बराबरी पर ख़त्म हुए. इसके बाद टाईब्रेकर से नतीजा निकला।
आपको बता दें कि तीन दिनों तक चले फाइनल मुकाबले में 4 गेम के बाद नतीजा निकला. 18 साल के प्रगनानंद ने शुरुआती दोनों गेम में 32 साल के कार्लसन को कड़ी टक्कर दी। मंगलवार को दोनों के बीच पहली बाजी खेली गई, जो 34 चाल तक चली, लेकिन नतीजा नहीं निकल सका।
इस तरह फाइनल में कार्लसन ने खिताब जीता
जबकि दूसरा गेम बुधवार को खेला गया। इस बार दोनों के बीच 30 चालें खेली गईं और यह भी बराबरी पर समाप्त हुई। शुरुआती दोनों गेम ड्रा होने के बाद गुरुवार (24 अगस्त) को टाईब्रेकर से नतीजा निकला। टाईब्रेकर के तहत प्रागनानंद और कार्लसन के बीच 2 गेम खेले गए।
दोनों के बीच पहला टाई-ब्रेकर गेम 47 चालों तक चला। इसमें भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंद की हार हुई थी. लेकिन दूसरे गेम में उनसे उम्मीदें थीं, लेकिन वहां भी उन्होंने दमदार प्रदर्शन किया, लेकिन जीत नहीं सके. दूसरा टाईब्रेकर गेम बराबरी पर छूटा।
इस तरह कार्लसन ने पहली बार यह खिताब जीता है। अब वर्ल्ड कप खिताब जीतने पर उन्हें इनाम के तौर पर एक लाख 10 हजार अमेरिकी डॉलर मिलेंगे।
विश्वनाथन विश्व कप जीतने वाले एकमात्र भारतीय
प्रगनानंद ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को 3.5-2.5 से हराकर फाइनल में जगह बनाई. प्रग्गनानंद महान विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व कप फाइनल में जगह बनाने वाले केवल दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। अगर प्रज्ञानंद जीत जाते तो भारतीय होने का इतिहास रच देते।
वैसे विश्वनाथन आनंद भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने यह विश्व कप खिताब साल 2000 और 2002 में जीता था। सेमीफाइनल में भी प्रज्ञानंद की ऐतिहासिक जीत हुई थी। दो मैचों की शास्त्रीय श्रृंखला 1-1 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद, प्रगनानंद ने एक रोमांचक टाईब्रेकर में महान अमेरिकी ग्रैंडमास्टर को हराया।
10 साल की उम्र में इंटरनेशनल मास्टर
प्रग्गनानंद एक भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं। उन्हें भारत का सबसे प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी माना जाता है। वह महज 10 साल की उम्र में इंटरनेशनल मास्टर बन गए थे। वह उस समय ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। वहीं, 12 साल की उम्र में प्रग्गनानंद ग्रैंडमास्टर बन गए। ऐसा करने वाले वह उस समय दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी थे।