Congress in Upcoming Elections : देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस इस समय बहुत बुरे संकट और हालात से गुजर रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने और कई वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों पर विराम लग गया है। इसके बावजूद कांग्रेस अपने नेताओं को अपने साथ नहीं रख पा रही है। पहले भी कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में जा चुके हैं।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं कांग्रेस ने अपने करीब 20 फीसदी वोट शेयर को बरकरार रखते हुए अभी भी अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में खुद को मजबूत बनाए रखा है. इसके बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में पार्टी का चुनावी प्रदर्शन कमजोर नजर आ रहा है। आइए जानते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस के सामने क्या चुनौतियां आने वाली हैं।
कांग्रेस कितनी ताकतवर, ये है मौजूदा स्थिति?
कांग्रेस पार्टी के सदस्यों की संख्या का आंकड़ा 6 करोड़ है। लोकसभा में कांग्रेस के केवल 52 सांसद हैं और राज्यसभा में भी पार्टी 31 सांसदों तक सिमट कर रह गई है। देशभर में कांग्रेस के 649 विधायक हैं। इसे चौंकाने वाला आंकड़ा ही कहा जाएगा कि 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं है। वहीं, 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पार्टी का सिर्फ एक सांसद है। राज्यों में विधायकों के आंकड़ों की बात करें तो 6 राज्यों में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. वहीं, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक हैं।
किन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें?
कभी हर राज्य में अपना परचम फहराने वाली कांग्रेस अब दो राज्यों में सिमट कर रह गई है. वहीं, सिर्फ दो राज्यों में पार्टी गठबंधन का हिस्सा है और सरकार में शामिल है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में केवल कांग्रेस सरकार पूर्ण बहुमत से सत्ता में है। पिछले साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। वहीं, महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिरने के बाद वहां भी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. फिलहाल कांग्रेस तमिलनाडु और बिहार में गठबंधन में शामिल होकर सरकार का हिस्सा बनी हुई है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस के सामने क्या हैं चुनौतियां?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा का समापन हो गया है। भारत जोड़ो यात्रा को लेकर हालिया सर्वे में सामने आए आंकड़ों में इसे मिशन 2024 की तैयारी की नाकामी माना जा रहा है। वैसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ब्रांड नरेंद्र मोदी से मुकाबला करना है। दरअसल भारत जोड़ो यात्रा के बावजूद कई विपक्षी पार्टियां अब भी राहुल गांधी के नाम पर कांग्रेस में शामिल होने से कतरा रही हैं.
वहीं, 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाले हैं। इस साल त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, कर्नाटक, मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में कांग्रेस को बीजेपी के साथ-साथ स्थानीय पार्टियों से भी मुकाबला करना है. वहीं, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से होगा.
कांग्रेस लगातार खुद को सबसे मजबूत विपक्ष के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, टीआरएस नेता केसीआर, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक समेत कई नेताओं ने कांग्रेस से दूरी बना ली है. इतना ही नहीं पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अंदरूनी कलह के साथ-साथ गुटबाजी से भी जूझ रही है. वहीं पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी उन्हें अपने संगठन के विस्तार पर ध्यान देना होगा।
पिछले कुछ सालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुलाम नबी आजाद, हार्दिक पटेल, जितिन प्रसाद, सुनील जाखड़, आरपीएन सिंह जैसे कई दिग्गज नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं. आशंका जताई जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई और नेता भी पलायन कर सकते हैं। कांग्रेस को नेताओं के पलायन को रोकने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपीए के लिए नए सहयोगी तलाशने होंगे।