Latur Scam: लातूर में क्लर्क का घोटाला 26 करोड़ तक पहुंचा; नई जानकारी के साथ हंगामा

Latur Scam: Clerk's scam in Latur reached 26 crores; commotion with new information

Latur Scam News: लातूर जिलाधिकारी कार्यालय की राजस्व शाखा में एक लिपिक द्वारा विभिन्न योजनाओं के सरकारी धन के घोटाले में एक और नई जानकारी सामने आई है, जिससे राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है।

चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि लातूर के सरकारी कार्यालय से जुड़े दो बैंक खातों से 22 करोड़ 87 लाख 62 हजार 25 रुपये की राशि का गबन किया गया। लेकिन चल रही जांच में रकम दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आप को बता दे 22 करोड़ का आंकड़ा अब 26 करोड़ हो गया है। लिहाजा लातूर जिले में इस घोटाले का दायरा बढ़ता जा रहा है।

ऐसे शुरू हुआ घोटाला 

यह प्रकार 2015 से 2022 तक कुल सात वर्षों के लिए है और यह प्रकार जलयुक्त शिवार अभियान के तहत राशि वितरण का आदेश जारी करने के बाद प्रकाश में आया है। तहसीलदार महेश मुकुंद परांडेकर की शिकायत पर एमआईडीसी थाने में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस आगे की जांच कर रही है। अरुण नागनाथ फुलबोयने, सुधीर रामराव देवकते, चंद्रकांत नारायण गोगड़े सहित लिपिक मनोज नागनाथ फुलेबॉयने के खिलाफ सरकार को धोखा देने का मामला दर्ज किया गया है।

आखिर माजरा क्या है?

राजस्व शाखा के तत्कालीन लिपिक मनोज नागनाथ फुलेबॉयने बैंक खाते के प्रभारी थे। जलयुक्त शिवार अभियान के तहत राशि बांटने का आदेश था। जल संरक्षण अधिकारियों को दो चेक दिए गए।

जिसमें 12 लाख 27 हजार 297 रुपये व 41 लाख 06 हजार 610 रुपये आरटीजीएस के माध्यम से वितरण के लिए पुराने समाहरणालय परिसर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में जमा कराये गये.

हालांकि खाते में 96 हजार 559 रुपए ही बचे। इससे गबन मामले की गुत्थी खुल गई। जिलाधिकारी ने लेखा परीक्षण के आदेश जारी कर दिए हैं। एक अन्य खाते का भी ऑडिट किया गया। जिसमें हस्ताक्षर और मूल राशि में बदलाव देखा गया। यह देखा गया कि इसे सरकारी निजी खाते में वर्गीकृत किया गया था।

घोटाला कैसे हुआ?

क्लर्क मनोज फुलेबॉयने ने फर्जी पावर ऑफ अटार्नी बनाई। अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर कर टिकटों का दुरूपयोग किया गया। भाऊ अरुण के स्वामित्व वाली तन्वी कृषि केंद्र, तन्वी एग्रो एजेंसियों और ऋषिनाथ एग्रो एजेंसियों के बैंक खातों के साथ-साथ सुधीर देवकते और चंद्रकांत गोगड़े के बैंक खातों में करोड़ों रुपये स्थानांतरित किए गए।

इसके साथ ही चेक में अक्षर और संख्या राशि के स्थान पर एक खाली स्थान रखा जाता था और फिर राशि को बढ़ाकर बढ़ा दिया जाता था। इस मामले में मनोज नागनाथ फुलेबोयने के खिलाफ तहसीलदार महेश मुकुंद परांडेकर द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर अपने और तीन अन्य खातों में पैसा जमा कर सरकार से धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों के नाम अरुण नागनाथ फुलबोयने, सुधीर रामराव देवकते, चंद्रकांत नारायण गोगड़े हैं।

दो गिरफ्तार, दो फरार

करोड़ों रुपये के गबन के मामले में एमआईडीसी थाने में चार आरोपियों में मनोज नागनाथ फुलबोयने, चंद्रकांत नारायण गोगड़े को गिरफ्तार किया गया है। अरुण फुलेबॉयने और सुधीर रामराव देवकते अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस इनकी तलाश में दबिश दे रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि उनका सुराग किसी लायक नहीं है। एमआईडीसी पुलिस आगे की जांच कर रही है।

छह अधिकारियों को नोटिस

जिलाधिकारी कार्यालय में आला लिपिक मनोज फुलबोयने द्वारा सात साल में 26 करोड़ से अधिक का गबन किए जाने की सूचना के बाद से राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है। सात साल की इस अवधि में कार्यरत तत्कालीन छह तहसीलदारों को नोटिस जारी किया गया है। अब इनकी अकाउंट वाइज जांच की गई है।