Business Idea | हींग की खेती बदल देगी किस्मत, होगी लाखों की कमाई, जानें कैसे करें शुरुआत

Hing Ki Kheti Business Idea

Business Idea: अगर आप बिजनेस करने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको एक ऐसा बिजनेस बता रहे हैं। जिसकी भारत में भारी मांग है, लेकिन इसका उत्पादन कम है। मांग को पूरा करने के लिए भारत दूसरे देशों से आयात करता है। यह एक ऐसा उत्पाद है। जिसके बिना भारत की रसोई अधूरी मानी जाती है।

दरअसल हम बात कर रहे हैं हींग की। भारत में हींग की खेती नहीं की जाती थी, लेकिन अब देश में हींग की खेती शुरू हो गई है और इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई है। अगर आप भी इस आर्थिक युग में बेहतर कमाई करना चाहते हैं तो हींग की खेती से आसानी से लाखों रुपये कमा सकते हैं।

हींग की कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि इसका उत्पादन कैसे हो रहा है। भारत में शुद्ध हींग की कीमत इस समय लगभग 35,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि हींग की खेती से किसानों को काफी फायदा होगा।

भारत में हींग की खपत

ईरान में हींग को देवताओं का भोजन कहा जाता है। विश्व के कुछ देशों में इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां इसका उपयोग आज भी मसाले के रूप में किया जा रहा है। दुनिया की 40 फीसदी हींग का इस्तेमाल भारत में होता है और किचन में हींग न हो, ये नामुमकिन है।

हींग का इस्तेमाल ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. जानकारी के मुताबिक, हींग में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। इसका उपयोग कई उत्पादों में खुशबू जोड़ने और खाने-पीने की चीजों में किया जाता है।

भारत में सबसे ज्यादा मांग

भारत दुनिया में हींग का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश में हींग की सालाना खपत करीब 1500 टन है जिसकी कीमत 940 करोड़ रुपये से ज्यादा है. भारत हर साल 90 प्रतिशत हींग अफगानिस्तान से, आठ प्रतिशत उज्बेकिस्तान से और दो प्रतिशत ईरान से आयात करता है। दो साल के शोध के बाद आईएचबीटी ने लाहौल घाटी को हींग उत्पादन के लिए उपयुक्त पाया है। इसके अलावा उत्तराखंड में लद्दाख का पहाड़ी क्षेत्र, हिमाचल का किन्नौर, मंडी जिले का जंजैहली पहाड़ी क्षेत्र भी हींग के लिए उपयुक्त माना गया है।

लाहौल स्पीति के बाद अब इन इलाकों में भी हींग के पौधे रोपे गए हैं. गौरतलब है कि हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान का होना जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हींग की कीमत 35 से 40 हजार रुपये प्रति किलो है। एक पौधे से लगभग आधा किलो हींग प्राप्त होती है। इसमें चार से पांच साल लग जाते हैं। हिमालयी क्षेत्रों में हींग के उत्पादन के बाद किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलेगी।

भारत में हींग की खेती 2020 में शुरू  

भारत में अब हींग की खेती शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत साल 2020 में हिमाचल प्रदेश से हुई। हिमाचल की लाहौल घाटी में किसानों ने हींग की खेती शुरू की है। इसके लिए उन्हें हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) से मदद मिली है।

हींग की खेती से कमाएं मोटी कमाई

हींग की खेती में प्रति हेक्टेयर 3 लाख रुपये का खर्च आएगा। अगर आप इस लागत में पांचवें साल खेती करते हैं तो आपको 10 लाख रुपये तक का मुनाफा होगा। बाजार में एक किलो हींग की कीमत करीब 35000 से 40000 रुपये प्रति किलो है। इसलिए, अगर आप एक महीने में 5 किलो हींग बेचते हैं, तो आप आसानी से 2,00,000 रुपये प्रति माह कमा सकते हैं।

कंपनियों से गठजोड़ कर सकते हैं

अधिक कमाई के लिए बड़ी कंपनियों से टाईअप भी किया जा सकता है। इसके अलावा प्रोडक्ट को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लिस्ट और बेचा जा सकता है, इसमें आप हर महीने 3 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं।

भारत में 1500 टन हींग का आयात  

हिमालयन बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, पालमपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक यादव के मुताबिक, भारत हर साल 1500 टन हींग का आयात करता है। प्रयोगशाला में करीब दो साल तक आयातित बीजों से हींग के पौधे तैयार किए गए, जिसमें पहला पौधा लाहौल स्पीति में किसानों को दिया गया। हींग के पौधों को कम नमी और बहुत ठंडे क्षेत्र की आवश्यकता होती है, इसलिए इसकी खेती के लिए सबसे पहले लाहौल स्पीति को चुना गया।

अब हिमाचल प्रदेश के किन्नौर, मंडी, कुल्लू, चंबा और पांगी के ऊपरी इलाकों में भी हींग की खेती का परीक्षण किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कुल सात हेक्टेयर भूमि पर 47 हजार हींग के पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश पौधे सफल रहे हैं। हींग के पौधे से बीज एवं हींग पांच वर्ष के बाद प्राप्त किये जा सकते हैं। बाजार में हींग की कीमत 30 से 40 हजार रुपये प्रति किलो है, अगर हींग की खेती में सफलता मिलती है तो राज्य के किसानों को इससे अच्छी आमदनी होगी।

ईरानी और अफगानी किस्म के पौधे

लाहौल के क्वारिंग गांव में सबसे पहले हींग की खेती की शुरुआत करने वाले किसान रिन्हागजिंग हांयरप्पा ने बताया कि उन्होंने ईरानी और अफगानी दोनों तरह की वैरायटी के पौधे लगाए हुए हैं। इस पौधे में हींग की खुशबू आनी शुरू हो गई है। पांचवें वर्ष में इससे हींग मिलना शुरू हो गया है। 2020 में उन्होंने इस पौधे को 12 हजार फीट की ऊंचाई पर रोपा था, लेकिन उस समय यह वहां टिक नहीं पाया था। उसके बाद उन्होंने इस पौधे को 11 हजार फीट की ऊंचाई पर लगाया और तब जाककर यह परिक्षण कामयाब हुआ, शुरुआती दौर में लाहौल के सात किसानों को हींग की दोनों किस्मों के 100 पौधे दिए गए थे।

करीब तीन वर्षों की हींग की खेती के अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि हींग की खेती की सफलता का अनुपात 30 से 40 फीसदी है. किसी समय में लाहौल उन्नत किस्म के आलू की फसल के लिए जाना जाता था। वहीं उन्होंने कहा कि लाहौल अब हींग उन्नत किस्म की खेती के लिए जाना जाएगा. आज लाहौल का हर किसान इस ओर कदम बढ़ाते हुए हींग की खेती करना शुरू कर दिया है, अब उस दिन का इंतज़ार है जब इस पौधे से हींग मिलना शुरू होगा।