अल-अक्सा मस्जिद को लेकर यहूदी और मुसलमान में क्यों संघर्ष होता हैं? जानिए पूरी कहानी

Why do Jews and Muslims clash over Al-Aqsa Mosque? Know the full story

Conflict Between Jews and Muslims : इस्राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री और कट्टर दक्षिणपंथी नेता इतामार बेन-गवीर (Itamar Ben-Gvir) की अल-अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque) की यात्रा के बाद अरब देशों और इस्राइल के बीच तनाव एक बार फिर अपने चरम पर है।

इस्लामिक देशों की चेतावनी और फिलिस्तीनी इस्लामिक संगठन हमास की धमकी के बाद इजरायली मंत्री ने कहा कि इजरायल सरकार हमास से डरने वाली नहीं है।

दरअसल, इजरायल के मंत्री ने मंगलवार को यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद का दौरा किया। इस दौरे के बाद पाकिस्तान, मिस्र, कतर समेत कई अन्य अरब देशों ने इस्राइल को चेतावनी देते हुए इस दौरे की कड़ी निंदा की है।

इजरायल के मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद के दौरे के बाद बढ़ते विवाद को देखते हुए चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक भी बुलाई। इस बैठक में फिलिस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने इस्राइल को जमकर घेरा है।

आइए जानते हैं क्या है इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद दौरे के बाद पूरा विवाद, अरब देश और इजरायल आमने-सामने आ गए हैं।

अल-अक्सा मस्जिद को लेकर क्या है विवाद?

इजरायल की राजधानी यरुशलम में स्थित यह मस्जिद दुनिया के मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक है। अल-अक्सा मस्जिद भी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है।

चांदी के गुंबद से बनी यह मस्जिद 35 एकड़ में फैली हुई है। इसे ‘अल-हरम अल शरीफ’ के नाम से भी जाना जाता है। मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह है।

मुसलमानों के लिए इस जगह को ‘अल-हरम अल शरीफ’ के नाम से जाना जाता है। जबकि ‘टेम्पल माउंट’ के नाम से मशहूर यह जगह यहूदियों के लिए पवित्र जगह है।

यहूदियों के लिए सबसे पवित्र स्थान ‘डोम ऑफ द रॉक’ इसी स्थान पर स्थित है। लेकिन मुसलमान भी डोम ऑफ द रॉक को पैगंबर मोहम्मद से जुड़े होने के कारण मानते हैं। इस जगह को लेकर सालों से यहूदियों और फलस्तीनियों के बीच विवाद चला आ रहा है।

1947 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्राचीन फिलिस्तीन को दो भागों में विभाजित किया गया था। विभाजन के बाद 55 प्रतिशत भूमि यहूदियों को और 45 प्रतिशत फिलिस्तीनियों को दे दी गई थी।

लेकिन 1967 में गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक पर इजरायल के कब्जे के बाद विवाद और बढ़ गया। इससे पहले 1948 से 1967 तक यह इलाका जॉर्डन के कब्जे में था।

हालाँकि, बाद में जॉर्डन और इज़राइल के बीच सहमति हुई कि जॉर्डन इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ अल-अक्सा मस्जिद के अंदर के मामलों को नियंत्रित करेगा जबकि इज़राइल बाहरी सुरक्षा को संभालेगा।

शांति संधि के तहत इस बात पर भी सहमति बनी थी कि गैर-मुस्लिमों को भी मस्जिद परिसर के अंदर जाने की इजाजत होगी लेकिन उन्हें नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं होगी।

इसके बावजूद यहूदियों ने कुछ देर नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में घुसने की कोशिश की, जिससे तनाव की स्थिति पैदा हो गई। कई बार हिंसक झड़प भी हुई।

क्या है धार्मिक महत्व

यहूदी और मुसलमान दोनों ही इस जगह को धार्मिक रूप से खास मानते हैं। यहूदी अल-अक्सा मस्जिद की पश्चिमी दीवार को अपने यहूदी मंदिर का अंतिम अवशेष मानते हैं।

जबकि मुस्लिम समुदाय इस दीवार को ‘अल बराक’ की दीवार होने का दावा करता है। मुसलमानों का मानना है कि यह वही दीवार है, जहां पैगंबर मुहम्मद ने ‘अल बराक’ को बांधा था।

वहीं, यहूदी लोगों का दावा है कि यह जगह पहले यहूदियों के लिए प्रार्थना करने की जगह हुआ करती थी। लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनेट ने यहूदियों को यहां प्रार्थना करने से प्रतिबंधित कर दिया।

इस्लामिक देशों ने दी चेतावनी

इजरायल के मंत्री इतामार बेन-गवीर की अल-अक्सा मस्जिद की यात्रा के बाद इस्लामी देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने कहा कि इजरायली मंत्री का यह कदम भड़काऊ और मुसलमानों की भावनाओं के खिलाफ है।

ओआईसी ने कहा कि मंत्री का यह दौरा अल-अक्सा मस्जिद की यथास्थिति को बदलने की कोशिश है। पाकिस्तान ने भी इजरायली मंत्री के दौरे को असंवेदनशील और उकसाने वाला करार दिया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘अल-अक्सा मस्जिद’ दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र स्थान है।

इसका उल्लंघन मुसलमानों की धार्मिक संवेदनाओं को आहत करता है। पाकिस्तान ने एक बार फिर से फ़िलिस्तीनी मांगों के प्रति अपना समर्थन दोहराया है।

ईरान ने इस्राइल को चेतावनी दी है कि एक फ़िलिस्तीनी पवित्र स्थल में एक इजराइली मंत्री द्वारा इस तरह का कृत्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है और मुस्लिम मूल्यों का अपमान है।

इसके लिए इजरायल को मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और लेबनान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

मंत्री ने कहा टेंपल जाने का सबका अधिकार

अल-अक्सा मस्जिद का दौरा करने के बाद, इज़राइल के मंत्री बेन-गवीर ने ट्वीट किया, टेम्पल माउंट सभी के लिए खुला है और अगर हमास को लगता है कि यह मुझे धमकी देकर मुझे डराएगा, तो यह बदलने का समय है।

किसी भी हाल में इज़राइल की सरकार आत्मसमर्पण नहीं करेगी। हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि बेन-गवीर ने मस्जिद परिसर में प्रार्थना की या नहीं।