क्या है अडानी के 20 हजार करोड़ की बात? जिसको लेकर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हुये हमलावर

rahul_gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कारोबारी गौतम अडानी पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि शेल कंपनियों के माध्यम से अडानी समूह में हजारों करोड़ रुपये का विदेशी पैसा लगाया गया, जिनमें से कुछ भारत के रक्षा क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

राहुल ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से जोड़ दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने कहा, ‘अडानी की शेल कंपनियों में अचानक 20 हजार करोड़ रुपए आ गए। यह पैसा कहां से आया? यह किसका था? इनमें से कुछ रक्षा कंपनियां भी हैं। रक्षा मंत्रालय सवाल क्यों नहीं पूछ रहा?

राहुल ने इस पूरे मामले में एक चीनी नागरिक की भूमिका पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा कि यह चीनी नागरिक कौन है?

इस चीनी नागरिक का जिक्र पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट में भी किया गया था। दावा किया गया कि वह ताइवान में अडानी ग्रुप का प्रतिनिधि है।

राहुल ने क्या आरोप लगाया?

राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह नहीं बताया कि उन्हें इन शेल कंपनियों में पैसा लगाने की जानकारी कहां से मिली. लेकिन उनके द्वारा लगाए गए आरोप फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट से मेल खाते हैं।

फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में भारत के एफडीआई डेटा का विश्लेषण करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप में हाल के सालों में जितना FDI आया है, उसका करीब आधा हिस्सा उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों को मिला है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है, “अडानी और उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने 2017 से 2022 के बीच अदानी ग्रुप में कम से कम 2.7 अरब डॉलर का निवेश किया है।”

डिफेंस में अडानी ग्रुप

अडानी ग्रुप ने 2017 में डिफेंस और एयरोस्पेस के कारोबार में प्रवेश किया। हालांकि, जब इंडिया टुडे ग्रुप ने कॉर्पोरेट फाइलिंग की समीक्षा की, तो पाया गया कि अडानी ग्रुप से जुड़ी कम से कम 11 पंजीकृत कंपनियां सीधे रक्षा क्षेत्र में काम कर रही हैं।

जनवरी 2023 में एक्सचेंज को दिए गए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के आंकड़ों के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने रक्षा क्षेत्र की अपनी कंपनियों की संपत्ति 1,263.16 करोड़ रुपए आंकी है।

समूह सहयोगी अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एडीएसटीएल) ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए हैं।

इनमें लड़ाकू विमान, मानवरहित हवाई प्रणालियां, हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, वायु रक्षा बंदूकें, मिसाइल और छोटे हथियार शामिल हैं।इसके अलावा अडानी ग्रुप से जुड़ी 10 और कंपनियां हैं जो डिफेंस से जुड़े अलग-अलग काम कर रही हैं।

ऑर्डेफेंस सिस्टम्स लिमिटेड नेवी, आर्मी, एयर के साथ-साथ स्पेस डिफेंस सिस्टम्स पर भी काम करता है। अडानी नेवल डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड नौसेना के लिए युद्धपोत प्रणाली, रक्षा प्रणाली और गोला-बारूद के निर्माण में शामिल है।

अडानी ग्रुप की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड में 26.26 फीसदी हिस्सेदारी है। यह कंपनी स्पेस टेक्नोलॉजी और सिस्टम पर काम करती है।

एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड की अल्फा डिजाइन में 0.53 फीसदी हिस्सेदारी है। इलारा इंडिया भी अदानी एंटरप्राइजेज के निवेशकों में से एक है।

अक्टूबर 2022 में, अदानी समूह ने 400 करोड़ रुपये में एयर वर्क्स के अधिग्रहण की घोषणा की। एयर वर्क्स की स्थापना 1951 में हुई थी, जो भारत में एयरलाइनों और सरकारी विमानों को सेवाएं प्रदान करती है।

क्या कांग्रेस के पास सबूत है?

इन आरोपों से जुड़े सबूतों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने दावा किया कि राहुल गांधी द्वारा किए गए दावों के लिए पार्टी के पास पर्याप्त सबूत हैं।

उन्होंने कहा कि जब सरकार इन आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने पर राजी हो जाएगी, तब इन सबूतों को समिति के सामने पेश किया जाएगा।

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने कहा, अगर हम फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध वित्तीय आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 2017 से 2022 के बीच अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने अडानी ग्रुप में 2.6 अरब डॉलर का एफडीआई किया था। यह करीब 20 हजार करोड़ रुपए बैठता है। इस पैसे का असली मालिक कौन है? राहुल गांधी भी यही सवाल पूछ रहे हैं।