उम्मीदवारों को एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की PIL को सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया खारिज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर एक ही पद के लिए एक से अधिक विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार पर रोक लगाने की मांग की गई है.

जनहित याचिका में केंद्र और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को निर्दलीय उम्मीदवार को संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है थी।

आपको बता दे की, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें एक से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की उम्मीदवारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विधायी मसला है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक उम्मीदवार को एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इजाजत देना विधायी नीति का मामला है। क्योंकि यह संसद की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि वे राजनीतिक लोकतंत्र में ऐसे विकल्प को जारी रखना चाहते हैं या नहीं।

आप को बता दे की, इस तरह की मांग लंबे समय से की जा रही है। क्योंकि जब कोई उम्मीदवार एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ता है और दो या दो से अधिक सीटों पर जीत हासिल करता है, तो उसे बाकी सीटों को छोड़कर किसी एक सीट का चुनाव करना होता है। ऐसे में खाली सीटों पर दोबारा चुनाव कराया जाता है। जिसमें करदाताओं के पैसे का एक तरह से दुरूपयोग किया जाता है।

इसके अलावा चुनाव मशीनरी को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। चुनाव आयोग को उन खाली सीटों पर चुनाव कराना है, इसके लिए चुनाव अधिकारी से लेकर मतदान केंद्रों और सुरक्षाबलों तक की पूरी व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी। जबकि एक से ज्यादा सीट पर चुनाव जीतने वाले और एक सीट का चुनाव करने वाले उम्मीदवार को इसमें किसी तरह की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है और न ही उसके लिए कोई दंड का प्रावधान है।

लंबे समय से एक प्रत्याशी, एक सीट की मांग की जा रही है। चुनाव आयोग भी समय-समय पर एक प्रत्याशी एक सीट के लिए कानून बनाने की मांग करता रहा है। चुनाव आयोग यह भी चाहता है कि लोगों को एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने से रोका जाए और ऐसा न होने पर उस प्रत्याशी पर भारी जुर्माना लगाया जाए जो एक सीट जीतने के बाद क्षेत्र को उपचुनाव में झोंक देता है।

क्या है मामला 

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह जनहित याचिका दायर की है. याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी, जिसके तहत एक व्यक्ति को दो सीटों से आम चुनाव या कई उपचुनाव या द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति है।

याचिका में कहा गया था कि जब कोई उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है और अगर वह दोनों सीटों पर जीत जाता है तो उसे दो में से एक सीट छोड़नी पड़ती है। इससे सरकारी खजाने ही नहीं बल्कि खाली सीट पर चुनाव कराने से सरकारी तंत्र व अन्य संसाधनों पर आर्थिक बोझ पड़ता है।

साथ ही यह उस विधानसभा के मतदाताओं के साथ भी नाइंसाफी है जहां से प्रत्याशी नाम वापस ले रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जुलाई 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त ने तत्कालीन प्रधानमंत्री से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) में संशोधन करने के लिए भी कहा था ताकि एक व्यक्ति एक ही पद के लिए एक से अधिक सीटों पर चुनाव न लड़ सके।