Report : NSA अजीत डोभाल के इस कदम से पाकिस्तान में क्यों मचा हड़कंप?

Report : NSA अजीत डोभाल के इस कदम से पाकिस्तान में क्यों मचा हड़कंप?

National Security Advisor Ajit Doval | भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (National Security Advisor Ajit Doval) के रूस के राष्ट्रपति पुतिन (Russian President Putin) से मुलाकात को लेकर पाकिस्तान में खूब चर्चा हो रही है। बुधवार को डोभाल रूस के दो दिवसीय दौरे पर गए, जहां उन्होंने अफगानिस्तान पर सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लिया।

पाकिस्तान, जो अफगानिस्तान के मुद्दे पर खुद को एक प्रमुख हितधारक मानता है, इस बैठक से अनुपस्थित रहा। इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत सावधानीपूर्वक अफगानिस्तान में पाकिस्तान की स्थिति को कमजोर कर रहा है। भारत की नीति पाकिस्तान पर भारी पड़ रही है और वह अलग-थलग नजर आ रहा है।

अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रूस ने बुधवार को राजधानी मॉस्को में पांचवीं बैठक बुलाई। इस बैठक में चीन, भारत, ईरान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान समेत कई देशों को बुलाया गया था। भारत के एनएसए डोभाल ने बैठक में कहा कि, अफगानिस्तान के लोगों की मानवीय जरूरतों को पूरा करना भारत की पहली प्राथमिकता है। डोभाल ने ये भी कहा कि, अफगानिस्तान मुश्किल दौर से गुजर रहा है और जरूरत की इस घड़ी में भारत अफगानिस्तान की जनता का साथ कभी नहीं छोड़ेगा।

उन्होंने कहा कि, भारत ने 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 60 टन दवाएं और पांच लाख कोविड टीके भेजकर अफगानिस्तान की मदद की है। भारत ने इस साल के बजट में अफगानिस्तान के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की है। अफगानिस्तान में विकास कार्यों के लिए भारत 2.5 करोड़ डॉलर देगा। अफगानिस्तान पर भारत के इस रुख से पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ है।

पाकिस्तान को चतुराई से अलग-थलग कर रहा है भारत

पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा कहते हैं, अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए क्षेत्रीय देशों के एनएसए की यह पांचवीं बैठक थी। इस बैठक में पाकिस्तान पर कितनी खूबसूरती से बरसे। आज पाकिस्तान ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि सभी देश मिलकर अफगानिस्तान की बात कर रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे हैं। हम अफगानिस्तान में प्रमुख हितधारक हुआ करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

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Pakistan’s Economy : एक हाथ में परमाणु हथियार और दूसरे हाथ में भीख का कटोरा

अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए जब क्षेत्रीय देशों के एनएसए की पहली बैठक भारत में बुलाई गई थी तो पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था। उस वक्त पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार थी और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ ने भारत आने से इनकार कर दिया था। अब आलम यह है कि पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के बीच एनएसए का पद खाली पड़ा है।

कमर चीमा ने बताया, रूस में दूसरे देशों के NSA मिल रहे हैं। हमें एक बार भारत ने भी आमंत्रित किया था। मोईद यूसुफ ने कहा था कि, मैं वहां क्यों जाऊं? वह यह कहकर बैठक में नहीं गए। तब कहा गया की भारत यह है, भारत वह है, भारत से हम क्यों बात करे, हम क्यों झुके, ऐसे बेबुनियाद बयान दिए गये। अब पाकिस्‍तान में एनएसए का पद खाली पड़ा है, क्‍योंकि सेना अपनी मर्जी से एनएसए लेकर आती है। उन्होंने नई सरकार में किसी एनएसए की नियुक्ति नहीं की।

बैठक में शामिल नहीं होने पर पाकिस्तान ने क्या कहा?

पाकिस्तान के उच्च आधिकारिक सूत्रों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान ने रूस में एनएसए की बैठक में इसलिए हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि उसके पास कोई एनएसए नहीं है। वहीं, पाकिस्तान ने बैठक में हिस्सा नहीं लेने की अलग ही कहानी सुनाई है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हमने इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। क्योंकि हम समझते हैं कि पाकिस्तान अन्य मंचों की तुलना में अफगानिस्तान में शांति बहाली में बेहतर योगदान दे सकता है। हम अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के अनुसार उन प्रयासों में भाग लेना जारी रखेंगे और अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता में योगदान देने के लिए अपने सहयोगियों के साथ काम करेंगे।

पाकिस्तान के इस स्टैंड पर वाशिंगटन के विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन का कहना है कि, पाकिस्तान फिलहाल ऐसी स्थिति में है कि वह न तो अमेरिका से अपने रिश्ते खराब करने की सोच सकता है और न ही रूस से कोई खतरा मोल ले सकता है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान और रूस के संबंधों में थोड़ी गर्माहट आई है। रूस गंभीर ऊर्जा संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को सब्सिडी वाला तेल देने पर सहमत हो गया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी कुछ दिन पहले तेल के मुद्दे पर बात करने के लिए रूस के दौरे पर गए थे। लेकिन जब वे रूस पहुंचे तो राष्ट्रपति पुतिन उनके स्वागत के लिए मौजूद नहीं थे। इसे लेकर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक ने ट्वीट किया, हाल ही में जब हमारे विदेश मंत्री रूस के आधिकारिक दौरे पर गए तो पुतिन ने उनका स्वागत तक नहीं किया। यह कूटनीति में अव्यवस्था को और देश के हालात को दर्शाता है।

रूस भले ही पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को उतनी तरजीह न दे रहा हो, लेकिन पाकिस्तान आर्थिक कारणों से रूस के करीब रहना चाहता है। इधर, डिफॉल्ट से बचने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज का इंतजार कर रहा है। सात अरब डॉलर के इस बेलआउट प्रोग्राम के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से काफी मदद की दरकार है, क्योंकि IMF पर अमेरिका का काफी प्रभाव है। ऐसे में वह अमेरिका के दुश्मन रूस के पास जाकर अमेरिका को नाराज कर सकता था।

इसलिए अब वह दोनों देशों के बीच अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। कुगेलमैन ने आगे कहा, रूस के साथ अफगानिस्तान पर बातचीत में पाकिस्तान की मजबूत भागीदारी रही है लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। इस तरह की बैठकों में भारत की नई भूमिका से पाकिस्तान उनके साथ सावधानी से पेश आएगा।

भारत पाकिस्तान की कमजोरी को समझ चुका है

वहीं कमर चीमा का कहना है कि, भारत पाकिस्तान की कमजोरी को समझ चुका है। एनएसए डोभाल पाकिस्तान को अच्छी तरह समझते हैं। उन्हें पता चल गया है कि पाकिस्तान को कहां और कैसे हैंडल करना है। वह समझ गये है कि अफगानिस्तान में क्या करना है और उसकी रणनीति भारत के लिए एकदम सही है।

पाकिस्तान के बिना अफगानिस्तान की समस्याओं का समाधान खोजा जा रहा है। पहले हम कहते थे कि भारत स्पॉइलर है, अब आठ देश (मास्को में एनएसए की बैठक में भाग लेने वाले देश) स्पॉइलर बन गए हैं, उनमे अब तो चीन भी शामिल हो गया है।उन्होंने पाकिस्तान के घनिष्ठ मित्र चीन का जिक्र करते हुए कहा, देखिए! चीन कितना चतुर है। भारत की कोशिश इस मसले पर सभी देशों को साथ लाने की थी।

भारत ने इसमें रूस को शामिल किया और चीन को भी अपना हिस्सा बनाया। फिर कौन रहा पीछे; ये कौन लोग हैं जो पाकिस्तान में इस बारे में बात नहीं करते। भारत के अजीत डोभाल अब कहते हैं कि, हम अफगानिस्तान में हितधारक हैं, विकास में भागीदार हैं। उन्होंने अपनी पूरी कहानी अफगानिस्तान में फिट कर दी है। अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को देखकर अमेरिका भी खुश है।

पाकिस्तानी राजनैतिक विश्लेषक का कहना है कि, इस वक्त पाकिस्तान के पास अफगानिस्तान को लेकर कोई रणनीति नहीं बची है। पाकिस्तान ने न केवल खुद को नष्ट किया, बल्कि अफगानिस्तान को भी नष्ट कर दिया। अब भारत अमेरिका से कह रहा है कि अफगानिस्तान के लिए उसके पास समाधान है। कमर चीमा ने कहा कि, पाकिस्तान कहता रहता है कि उसके पास अफगानिस्तान की समस्या का समाधान है, लेकिन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार उसकी एक भी नहीं सुनती।

उन्होंने कहा, तालिबान हमारी कहां सुनता है? वे सीमा पर हमारे लोगों पर गोलीबारी कर रहे हैं। जब तालिबान सत्ता में आया तो भारत उनसे कह रहा था कि, आप अपनी जमीन का इस्तेमाल हमारे खिलाफ होने से रोकेंगे। और अब हालात ये हैं कि पाकिस्तान तालिबान से कमिटमेंट ले रहा है कि आप अपनी जमीन का इस्तेमाल हमारे खिलाफ नहीं होने देंगे। पाकिस्तान को पता चल गया है कि अब माहौल बदल गया है।

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