Pawan Kheda | सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पवन खेड़ा की रिहाई, बोले- मेरा संघर्ष जारी रहेगा

Pawan Kheda

Pawan Kheda | कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को जमानत मिल गई है. द्वारका कोर्ट ने उन्हें 30 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी है। पवन खेड़ा को यह जमानत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दी थी।

बता दें कि खेड़ा को असम पुलिस ने दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। उन पर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। इस मामले में खेड़ा के खिलाफ असम के साथ ही यूपी के लखनऊ और वाराणसी में एफआईआर दर्ज की गई थी।

कोर्ट से बाहर आने के बाद पवन खेड़ा ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. सत्य की लड़ाई में संघर्ष होता है। मैं लोकतंत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। उनके खिलाफ मामले के बारे में पूछे जाने पर खेड़ा ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।

आज क्या हुआ

पवन खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। तब वह इंडिगो की फ्लाइट से रायपुर जा रहे थे। इसके बाद पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी है। अब मंगलवार तक उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। मंगलवार से पहले खेड़ा को नियमित जमानत के लिए आवेदन करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट में पवन खेड़ा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की. सिंघवी ने कहा कि खेड़ा का पीएम मोदी पर दिया गया बयान जुबान फिसलने का मामला है, जिसके लिए खेड़ा ने तब ही माफी मांग ली थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को मंगलवार तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी। इस बीच उन्हें नियमित जमानत के लिए आवेदन करना होगा। फिर नियमित जमानत की सुनवाई करते हुए कोर्ट दलीलें सुनने के बाद नियमित जमानत देने या नहीं देने का फैसला करेगी।

कांग्रेस ने यह भी मांग की थी कि खेड़ा के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक कर दिया जाए और उसे रद्द कर दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि फिलहाल एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है। इसे आसानी से दूसरी एफआईआर के साथ मर्ज किया जा सकता है।

बयान के खिलाफ पवन खेड़ा के खिलाफ दो राज्यों में मामले दर्ज किए गए थे। इसमें लखनऊ, बनारस और असम शामिल हैं। कांग्रेस ने मांग की कि सभी मामलों को एक साथ जोड़ा जाना चाहिए और एक साथ सुना जाना चाहिए। कोर्ट ने अपनी सहमति देते हुए तीनों एफआईआर को क्लब कर दिया।

कोर्ट ने यह आदेश देते हुए यूपी और असम पुलिस को नोटिस भी जारी किया है. प्रधान न्यायाधीश ने यह निर्देश देते हुए कहा कि हम सभी एफआईआर एक राज्य में करते हैं. ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सके। अब सोमवार को कोर्ट तय करेगी कि इन क्लब एफआईआर पर सुनवाई दिल्ली, यूपी-एनसीआर या असम में हो.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने खेड़ा को चेतावनी दी थी. प्रधान न्यायाधीश ने खेड़ा के वकील सिंघवी से कहा कि हमने आपको (गिरफ्तारी से) सुरक्षा दी है। लेकिन बातचीत-बयानबाजी का भी कुछ स्तर होना चाहिए।

इस पर सिंघवी ने कहा कि हां, हम भी ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करते हैं। सिंघवी ने कहा कि वास्तव में भ्रम था कि असली नाम दामोदर दास था या कुछ और। मैं खुद टीवी पर बैठता हूं, मानता हूं कि ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.

पवन खेड़ा पर किन धाराओं के तहत केस?

असम पुलिस ने पवन खेड़ा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इनमें 500 (मानहानि), 504 (अपमानजनक), 505 (1) फेक न्यूज फैलाना, 505 (2) समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना, 120बी (आपराधिक साजिश), 153ए (माहौल खराब करना), 153बी (1) एकता को नुकसान पहुंचाना) शामिल हैं। शामिल है। इसमें दोषी पाए जाने पर खेड़ा को 3 से 5 साल की सजा हो सकती है।

क्या है मामला?

पवन खेड़ा ने कुछ दिन पहले गौतम अडानी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, अगर अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं, तो नरेंद्र ‘गौतम दास’ मोदी से क्या दिक्कत है? हालांकि बयान देने के बाद खेड़ा ने अपने आसपास के लोगों से पूछा कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री का मध्य नाम सही बताया था।

इस पर खेड़ा ने कहा, नरेंद्र गौतम दास मोदी को क्या दिक्कत है? कांग्रेस नेता ने बाद में पूछा, क्या यह गौतम दास हैं या दामोदर दास हैं? इस दौरान पवन हंसते और ताना मारते हुए कहते हैं कि नाम भले ही दामोदर दास है, लेकिन उनके काम गौतम दास से मिलते जुलते हैं। बाद में एक ट्वीट में खेरा ने स्पष्ट किया कि वह वास्तव में प्रधानमंत्री के नाम को लेकर भ्रमित थे।