Manipur Violence | 4 मई को मणिपुर गांव में उन्मादी भीड़, नंगी परेड, सामूहिक बलात्कार और हत्या, क्या-क्या हुआ?

Manipur Violence

Manipur Violence | मणिपुर हिंसा की आग में इस हद तक जल रहा है कि इसने लोगों की इंसानियत को खत्म कर दिया है। अब तक वहां से हत्याओं की खबरें आ रही थीं। लेकिन बुधवार को दो महिलाओं के साथ बर्बरता और भयावहता का जो वीडियो सामने आया, उसने सभी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में भीड़ दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाती नजर आ रही है। कुछ सेकेंड के इस वीडियो में यह भी दिख रहा है कि कैसे भीड़ उन महिलाओं के साथ यौन हिंसा कर रही है। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई को हुई थी और वायरल वीडियो की ये घटना 4 मई की है। लेकिन वीडियो में सिर्फ दो महिलाओं के साथ ही भयावहता दिख रही है, लेकिन उस दिन काफी ज्यादा बर्बरता हुई थी।

उस दिन हजारों की बेकाबू भीड़ ने गांव पर हमला बोल दिया। महिलाओं को अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। हत्याएं की गईं। बड़ी मुश्किल से दो महिलाएं उस भीड़ से बचकर भागने में कामयाब हो पाई थीं। घटना के दो हफ्ते बाद उन्होंने घटना की एक-एक जानकारी पुलिस को दी थी। वहीं, एक महीने बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

ये घटना कब और कहां की है?

बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो 4 मई का है। यह घटना मणिपुर के थौबल जिले की है. यह जिला मैतेई बहुल माना जाता है। दो महिलाओं के साथ हुई इस खौफनाक घटना की शिकायत 18 मई को पुलिस से की गई। वहीं, मामले में 21 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी।

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पुलिस ने बताया कि नोंगपोक सेकमाई थाने में अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने गुरुवार सुबह मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी का नाम खुइरम हेरादास है, जिसने वायरल वीडियो में हरे रंग की टी-शर्ट पहनी हुई है।

FIR बताती है भयावहता

एफआईआर के मुताबिक, पीड़ितों ने शिकायत में बताया था कि 4 मई की दोपहर 3 बजे अज्ञात लोगों ने उनके गांव पर हमला कर दिया. उस दिन 900 से 1000 लोगों ने थौबल जिले में स्थित उनके गांव पर हमला कर दिया। शिकायत के मुताबिक, ये हमलावर मैतेई समुदाय के थे। भीड़ ने गांव पर हमला किया, घरों में आग लगा दी और फिर नकदी और आभूषणों सहित कीमती सामान लूट लिया।

हल्ला होने पर तीन महिलाएं अपने पिता और भाई के साथ जंगल की ओर भाग गईं। पुलिस टीम ने उन्हें बचा लिया. पुलिस उन्हें थाने ले जा रही थी तभी भीड़ ने रास्ता रोक लिया और उन महिलाओं और उनके पिता-भाई को पुलिस से छीन लिया. ये सब पुलिस स्टेशन पहुंचने से दो किलोमीटर पहले हुआ।

कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया

भीड़ ने पुलिस के सामने ही उन महिलाओं के पिता की हत्या कर दी। इसके बाद तीनों महिलाओं को अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। इनमें से एक की उम्र 21 साल, दूसरे की 42 साल और तीसरे की 52 साल थी। शिकायत में बताया गया कि भीड़ ने उन तीनों को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया। उन महिलाओं को भी भीड़ के आगे चलने को मजबूर होना पड़ा।

बाद में भीड़ ने दिनदहाड़े 21 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया। जब उसके भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उसे मार डाला। शिकायत के मुताबिक, दो महिलाएं आसपास के इलाके में अपने परिचितों की मदद से वहां से भागने में कामयाब रहीं।

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मोदी ने कहा- ये देश का अपमान है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को देश का ‘अपमान’ बताया। मानसून सत्र से पहले मीडिया से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मेरा दिल दर्द से भरा है, क्रोध से भरा है। मणिपुर की घटना सामने आई है। यह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक घटना है। पाप करने वाले, अपराध करने वाले कितने हैं? कौन हैं वो अपनी जगह पर हैं। लेकिन पूरे देश का अपमान हो रहा है। 140 करोड़ देशवासी शर्म महसूस कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि दोषियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। कानून पूरी ताकत से कदम दर कदम सख्ती से कदम उठाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। मणिपुर की इस घटना पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि, यह कोई इंसानी काम नहीं है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

मणिपुर ढाई महीने से जल रहा है

3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। यह रैली चूरचांदपुर के तोरबांग इलाके में निकाली गई। यह रैली मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहा है।

इस रैली के दौरान आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हुई. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम होते-होते हालात इतने बिगड़ गए कि वहां सेना और अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात कर दी गईं।

मेइती आदिवासी दर्जे की मांग क्यों कर रहे हैं?

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है। ये गैर-आदिवासी समुदाय हैं, जिनमें अधिकतर हिंदू हैं। वहीं कुकी और नागा की आबादी करीब 40 फीसदी है। राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय केवल घाटी में ही बस सकता है. मणिपुर का 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पहाड़ी है। केवल 10 प्रतिशत ही घाटी है। पहाड़ी इलाकों में नागा और कुकी समुदायों और घाटी में मैतेई का वर्चस्व है।

मणिपुर में एक कानून है। इसके तहत घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते और न ही जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी और नागा आदिवासी समुदाय भी घाटी में बस सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं। पूरा मामला ये है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर हावी है।