नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर One Nation One Election की वकालत करते नजर आए हैं. उनका कहना है कि इससे न सिर्फ देश के संसाधनों की बचत होगी बल्कि चुनाव प्रक्रियाओं में लगने वाला समय भी बचेगा, हालांकि इस बीच ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आज यानी गुरुवार 11 जनवरी को One Nation One Election को भारत के संवैधानिक बुनियादी ढांचे के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि एक देश, एक चुनाव ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि इस मुद्दे को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने One Nation One Election से जुड़ी कमेटी, जिसके अध्यक्ष खुद पूर्व राष्ट्रपति कोविंद हैं, को पत्र लिखा है और कहा है कि, वह इसके पक्ष में नहीं हैं।
पत्र में आगे लिखा गया कि, साल 1952 में भी ऐसी ही कोशिश की गई थी, जब लोकसभा चुनाव और अगले कुछ सालों तक विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे। हालाँकि, यह व्यवस्था अधिक समय तक कायम नहीं रह सकी।
One Nation One Election को लेकर ममता बनर्जी का कहना है कि देश में केंद्र और राज्य चुनाव एक साथ नहीं कराना भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के मूल ढांचे का हिस्सा है। यह वेस्टमिंस्टर शासन प्रणाली की एक मूलभूत विशेषता है।
एक देश एक चुनाव समिति का क्या काम है?
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति का मूल काम लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार करना और सिफारिश करना है। आपको बता दें कि इस समिति के सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे, संजय कोठारी, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद हैं। लेकिन बाद में अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया।