Joshimath Sinking Big Update : उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. भूस्खलन की वजह से सभी घरों और होटलों में दरारें आ गई हैं। प्रशासन ने असुरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए घरों और इमारतों को गिराने का काम आज से शुरू हो रहा है।
बताया जा रहा है कि सबसे पहले होटल मलारी इन और माउंट व्यू को तोड़ा जा सकता है। इन होटलों को खाली करा लिया गया है। बताया जा रहा है कि दरारों की वजह से होटल लगातार पीछे की ओर झुक रहे हैं. प्रशासन की ओर से एलान किया जा रहा है कि लोग होटलों से दूर रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। जोशीमठ के मामले में मामले को 16 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले की सुनवाई जल्दी नहीं हो सकती है। इन मामलों के लिए लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं, जो काम कर रही हैं।
Hotel Malari Inn 2011 में बनाया गया था
होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने बताया कि यह 2011 में बना था। इस दौरान नक्शा भी पास कराया गया। होटल मालिक का दावा है कि 2011-2022 तक आज तक किसी ने यह नहीं बताया कि यह जमीन आपदा क्षेत्र में है।
मालिक के मुताबिक जोशीमठ नगर पालिका की अनुमति से होटल बनाया गया था. लेकिन अब बिना सूचना के होटल को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस क्षेत्र को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए।
होटल तोडऩे का नोटिस नहीं मिला-होटल मालिक
होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मैं जनहित में मेरे होटल को गिराने के सरकार के फैसले के साथ हूं। लेकिन मुझे इससे पहले ही नोटिस मिल जाना चाहिए था। होटलों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है
कई रिहायशी इलाकों के लोगों ने घर खाली कर दिए हैं. बहुत सारे लोग अभी भी पैकिंग कर रहे हैं। ये लोग जोशीमठ छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
ऊपरी इलाकों में रहने वाले कुछ परिवार आज सुबह ही अपना सामान लेने वापस आ गए हैं। परिवारों का कहना है कि उन्हें घर के अलावा कृषि भूमि भी छोड़नी पड़ रही है। अब उन्हें अपने परिवार और बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है।
678 घरों में दरारें
जोशीमठ शहर चमोली जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 6,107 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी आबादी 23000 है। इसे बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
यहां भूस्खलन की वजह से अब तक 678 घरों में दरारें आ चुकी हैं। इतना ही नहीं सड़क कई जगह फट गई है। जमीन के नीचे से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है।