मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची से चार बड़े संदेश

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Madhya Pradesh and Chhattisgarh Elections | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। 16 अगस्त को बीजेपी केंद्रीय समिति की बैठक हुई। इस बैठक के 24 घंटे के भीतर बीजेपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए 60 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। इस लिस्ट में मध्य प्रदेश की 39 और छत्तीसगढ़ की 21 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम हैं।

बीजेपी की पहली लिस्ट को चुनावी तैयारियों में आगे रहने की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी एक वीडियो संदेश जारी कर इस ओर संकेत दिया है। सीएम शिवराज ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस कह रही थी- एक साल पहले उम्मीदवार घोषित करेंगे, छह महीने पहले उम्मीदवार घोषित करेंगे. बीजेपी मैदान में है और युद्ध स्तर पर तैयारियों में जुटी हुई है. हमने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. क्या हैं बीजेपी की इस लिस्ट के बड़े संदेश?

कठिन सीटों पर ज्यादा फोकस

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है। अमित शाह लगातार दोनों राज्यों का दौरा कर रहे हैं, बैठकें कर रहे हैं और जमीनी हकीकत की जानकारी ले रहे हैं। लोकसभा चुनाव भी बेहद करीब हैं, ऐसे में हिंदी पट्टी के इन राज्यों के चुनाव में पार्टी किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि कठिन मानी जाने वाली सीटों पर इतनी जल्दी उम्मीदवारों की घोषणा कर बीजेपी ने यह संदेश दे दिया है कि वह वॉकओवर नहीं देगी. उसका फोकस ऐसी सीटों पर ज्यादा है। इससे अभ्यर्थी को तैयारी के लिए अधिक समय भी मिलेगा। एक कारण यह भी है कि कठिन सीटों पर टिकट के दावेदार कम होते हैं और निर्णय लेना आसान हो जाता है। ये सीटें कांग्रेस के लिए मुफीद हैं और उसके लिए सत्ता विरोधी लहर से लेकर गुटबाजी तक कई चुनौतियां होंगी.

प्रत्याशी चयन में भी सूक्ष्म प्रबंधन

बूथ मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाले बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची में माइक्रो मैनेजमेंट की झलक भी दिख रही है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में बीजेपी ने सबसे पहले सीटों को चार श्रेणियों- ए, बी, सी और डी में बांटा. पार्टी ने सबसे पहले कठिन सीटों के लिए उम्मीदवारों का चयन किया। इसमें भी संबंधित सीट के सभी पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करने के बाद समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाई गई. बीजेपी ने सामान्य सीटों पर भी एससी-एसटी और ओबीसी चेहरों पर दांव लगाया है।

बड़े नेताओं को उनकी सीटों पर घेरने की रणनीति

बीजेपी ने पहली लिस्ट के जरिए यह संदेश भी दे दिया है कि पार्टी किसी भी सीट पर विपक्षी दल को वॉकओवर नहीं देगी. पार्टी ने छत्तीसगढ़ की पाटन सीट पर परिवार कार्ड खेला है जहां से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधायक हैं। बीजेपी ने सीएम बघेल के खिलाफ उनके ही भतीजे और सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश की बात करें तो इंदौर की राऊ विधानसभा सीट से जीतू पटवारी के खिलाफ बीजेपी ने मधु वर्मा को मैदान में उतारा है। बीजेपी के इस दांव से साफ है कि पार्टी की रणनीति बड़े नेताओं को उनकी ही सीटों पर घेरने की है।

आदिवासी और ओबीसी का महत्व

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली सूची में आदिवासियों और ओबीसी को तरजीह मिली है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाशचंद्र होता ने कहा कि बीजेपी की उम्मीदवारों की पहली सूची में संदेश साफ है कि आदिवासियों और ओबीसी को तवज्जो दी जाएगी। रामविचार नेताम और विजय बघेल जैसे नेताओं को मैदान में उतारकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि रणनीति क्या होगी। आदिवासी वोट टीएस सिंहदेव की ताकत माने जाते हैं और बीजेपी ने उनके खिलाफ नेताम जैसे आदिवासी चेहरे को आगे कर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है।