क्या तेलंगाना में बीजेपी की मदद करने के लिए ओवैसी ने नहीं उतारे कैंडिडेट?

महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की सभा में लगे औरंगजेब के समर्थन में नारे

Telangana Election 2023: तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को वोटिंग होनी है. राज्य में मुख्य लड़ाई सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समित (BRS) और कांग्रेस के बीच मानी जा रही है। पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के भी अपने दावे हैं।

इस बीच कांग्रेस ने बीजेपी और AIMIM में मिलीभगत का आरोप लगा दिया है। कांग्रेस ने दो सवाल किए हैं. एक ये कि प्रदेश में ओवैसी ने सिर्फ 9 सीटों पर ही उम्मीदवार क्यों खड़े किए हैं? दूसरा ये कि अगर ओवैसी-बीजेपी के बीच सांठगांठ नहीं है, तो बीजेपी के चर्चित विधायक टी राजा सिंह के खिलाफ गोशामहल सीट पर AIMIM का उम्मीदवार क्यों नहीं है जबकि गोशामहल में ही AIMIM का हेडक्वॉर्टर है।

क्या चल रहा है तेलंगाना में? क्या वास्तव में ओवैसी पर्दे के पीछे से कुछ खेल कर रहे हैं? इस पूरे मामले को समझने के लिए News Tak ने अपने सहयोगी इंडिया टुडे के दक्षिण भारत ब्यूरो के डिप्टी एडिटर नागार्जुन द्वारकानाथ से बात की। नागार्जुन ने हमें बताया कि, गोशामहल सीट जहां से बीजेपी के विधायक हैं, वहां 2014 से AIMIM ने कैंडिडेट नहीं उतारा है।

यह सीट असदुद्दीन ओवैसी के ही हैदराबाद क्षेत्र में आती है। AIMIM पार्टी का मुख्यालय भी इसी क्षेत्र में है. वहां से बीजेपी विधायक टी राजा सिंह मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देते रहते है। नागार्जुन भी मानते हैं कि इस बार लोगों में ये बात फैल गई है कि बीजेपी और AIMIM दोनों के बीच एक अन्डर्स्टैन्डिंग है. कांग्रेस इस नेरेटिव फैलाने में कामयाब भी होती दिख रही है।

नागार्जुन कहते हैं, ‘ओवैसी बतौर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) को खुलेआम सपोर्ट करते हैं. परोक्ष तौर पर प्रधामन्त्री मोदी ने भी ये कहा की केसीआर उनके पास आए थे और अपने साथ शामिल करने के लिए कह रहे थे। अगर हम देखें तो ओवैसी खुलकर केसीआर को सपोर्ट कर रहे हैं. ये एक ट्राई कॉम्बिनेशन तो बनता दिख ही रहा है. बीजेपी ने पिछले दिनों अपने प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय कुमार को पद से हटाया भी है. बंडी संजय कुमार केसीआर के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे.’

कुछ ओपिनियन पोल में कांग्रेस की मजबूत स्थिति पर नागार्जुन ने कहा कि, ‘तेलंगाना में कांग्रेस की स्थिति निश्चित रूप से अच्छी दिख रही है। इसके पीछे की वजह माइनॉरटी (अल्पसंख्यक) वोटों का उन्हें ट्रांसफर होना है. जैसा कर्नाटक में हुआ। ग्रामीण तेलंगाना में कांग्रेस को माइनॉरटी वोटों का बहुत फायदा मिलने जा रहा है।

अनुमान ये है कि 40-50 फीसदी माइनॉरटी वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो जाए. ग्रामीण तेलंगाना में अबतक AIMIM कैंडिडेट नहीं उतारती थी और डायरेक्ट केसीआर को सपोर्ट करती थी लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. कांग्रेस का कहना है कि क्लोज डोर मीटिंग हुई है और इस बार प्रदेश की चार बड़ी जमातों में से तीन उनके के समर्थन में है.’

AIMIM के केवल नौ सीटों पर लड़ने के सवाल पर नागार्जुन ने बताया कि, इसके पीछे की मुख्य वजह ओवैसी की केसीआर के साथ अपनी समझ है. AIMIM दूसरे प्रदेशों बिहार, UP में 20-25 सीटों पर लड़ती है पर अपने घर में सिर्फ नौ सीटों पर लड़ रही है।

इसके पीछे की वजह यह है कि अगर AIMIM यहां लड़ेगी तब माइनॉरटी वोट केसीआर और AIMIM दोनों में बंट जाएगा और कांग्रेस को फायदा हो जाएगा। यही वजह है की AIMIM केवल नौ सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।