कर्नाटक CM पर कांग्रेस की कंफ्यूजन, राहुल गांधी सिद्धारमैया के और डीके शिवकुमार के पक्ष में सोनिया गांधी

Confusion of Congress on Karnataka CM

Confusion of Congress on Karnataka CM | कर्नाटक के चुनाव परिणाम आए तीन साल बीत चुके हैं और अब तक कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं कर पाई है। सीएम चुनने की इस कवायद ने बेंगलुरु से कई नेताओं को दिल्ली ला दिया है।

मुख्यमंत्री की रेस में दो नाम सबसे आगे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया दोनों ही इस पद के दावेदार हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पार्टी नेताओं की अहम बैठक चल रही है।

अब ताजा अपडेट यह है कि इन दोनों नेताओं के चयन को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं की अलग-अलग राय है। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने सिद्धारमैया का समर्थन किया है। लिहाजा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे किसी एक फैसले पर नहीं पहुंचे हैं। वह सभी नेताओं से बात करने के बाद ही किसी एक का नाम तय करेंगे।

अधिकांश विधायक सिद्धारमैया के साथ 

वहीं सोनिया गांधी के डीके शिवकुमार से अच्छे संबंध हैं। इसलिए ज्यादातर विधायक सिद्धारमैया के साथ माने जा रहे हैं। इसके अलावा रणदीप सुरजेवाला भी दोनों नेताओं को लेकर तटस्थ हैं।

खड़गे दोनों नेताओं से अलग-अलग मुलाकात करेंगे

इस बीच पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने दोनों नेताओं से अलग-अलग मिलने का समय दिया है. सिद्धारमैया को छह बजे का समय दिया गया है, जबकि डीके शिवकुमार को पांच बजे बैठक के लिए बुलाया गया है.

हमने सिद्धारमैया के लिए कांग्रेस को वोट दिया

बता दें कि कर्नाटक प्रदेश कुरुबा संघ ने सिद्धारमैया को सीएम बनाने की मांग की है. कुर्बा संघ का कहना है कि वह सभी पिछड़े वर्ग के लोगों की मदद और उत्थान कर सकता है।

संगठन ने यह भी कहा कि उन्होंने सिद्धारमैया के नेतृत्व के लिए ही कांग्रेस को वोट दिया है। हालांकि डीके शिवकुमार के प्रयासों के लिए कुर्बा संघ ने भी काफी मेहनत की है. सिद्धारमैया भी कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

सीएम पद के तीसरे दावेदार

इन दोनों के अलावा कर्नाटक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर ने भी खुद को सीएम बनाने की मांग की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि अगर पार्टी आलाकमान ने उनसे सरकार चलाने को कहा तो वह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, आलाकमान पार्टी के लिए उनकी सेवा के बारे में जानते है और उन्हें पद के लिए पैरवी करने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है। पूर्व उपमुख्यमंत्री परेश्वर ने कहा, अगर आलाकमान फैसला करते है और मुझे सरकार चलाने के लिए कहते है, तो मैं जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं।

उन्होंने कहा, ‘मुझे पार्टी आलाकमान पर भरोसा है। मेरे पास कुछ सिद्धांत हैं। मैं करीब 50 विधायक भी ले सकता हूं और नारे लगा सकता हूं, लेकिन मेरे लिए पार्टी का अनुशासन महत्वपूर्ण है। मैंने कहा है कि आलाकमान मुझे जिम्मेदारी देगा तो मैं लूंगा। मैंने यह नहीं कहा कि मैं नहीं करूंगा।

मौका मिला तो काम करेंगे

आलाकमान जानता है कि मैंने पार्टी के लिए काम किया है, 8 साल तक (केपीसीसी अध्यक्ष के रूप में) सेवा की और इसे (2013 में) सत्ता में लाया, परमेश्वर ने कहा। इसके अलावा मैंने उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया है। वे सब कुछ जानते हैं।

हमारे पास कहने के लिए कुछ नया नहीं है। इसलिए मुझे लगता है कि मुझे पद के लिए पूछने या इसके लिए पैरवी करने की कोई आवश्यकता नहीं है और मैं चुप हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अक्षम हूं, मैं सक्षम हूं और मौका मिला तो काम करूंगा।

मुलाकातें तो बहुत हुई पर कुछ नहीं

कर्नाटक के सीएम को लेकर सोमवार को दिल्ली में बैठकों का दौर चला. दरअसल, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पहुंचे थे. उनके जाने के दौरान कर्नाटक कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र प्रभारी एचके पाटिल भी खड़गे के आवास पर पहुंचे।

रविवार रात से ही कांग्रेस आलाकमान इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहा है। बैठक देर शाम समाप्त हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, उसके बाद मंगलवार को भी बैठक हुई और अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।