पीरियड्स के दौरान नहीं मिलेगी पेड लीव : SC ने खारिज की याचिका

Supreme Verdict : EWS reservation to remain, but 2 judges including CJI against, Read Who Said What?

 SC Dismisses Petition | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को माहवारी के दौरान वैतनिक अवकाश देने वाली याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह सरकार की नीति से जुड़ा मामला है।

ऐसे मामले में कोई निर्देश देने का मतलब होगा कि महिलाओं की भर्ती एक समस्या होगी। लोग उन्हें नौकरी देने से परहेज करेंगे। कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क करें। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।

याचिका दिल्ली निवासी शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दायर की है. याचिका में केंद्र और सभी राज्यों को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन में अपने संबंधित कार्यस्थलों पर छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सवैतनिक अवकाश देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया है कि, पीरियड्स के दौरान महिलाओं और छात्राओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उन्हें और भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें पीरियड लीव देने के संबंध में आदेश पारित किया जाए।

याचिका में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन द्वारा किए गए एक अध्ययन का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान दिल के दौरे के बराबर दर्द महसूस करती हैं। इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जांबिया जैसे देशों में पीरियड्स की छुट्टी दी जा रही है।

आपको बता दें कि स्पेन के सांसदों ने हाल ही में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पेड लीव देने वाले कानून को मंजूरी दी थी। ऐसा करने वाला स्पेन पहला यूरोपीय देश बन गया है। इस कानून के पक्ष में 185 वोट पड़े और विरोध में 154 वोट पड़े। वहीं, बिहार भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जो 1992 से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दो दिन का विशेष अवकाश दे रहा है।